देश में पिछले कुछ दिनों से साहित्कारों द्वारा समाज के हालातों के प्रति विरोध जताने का अंदाज बदल गया है। बीते दिनों की ओर नजर डालें तो करीब चालीस साहित्यकारों ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए हैं। इस कड़ी में अब उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्में राणा ने शायर व साहित्यकार मुन्नावर राणा ने भी अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड को लौटाने का फैसला ले लिया है।
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खबरों के मुताबिक मुन्नावर राणा ने एक चैनल के कार्यक्रम के दौरान यह अवार्ड लौटाया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वो देश के हालातों से खासा नाराज हैं और आने वाले दिनों में किसी सरकारी अवॉर्ड को भी ग्रहण नहीं करेंगे। इससे पहले मुंबई के रहमान अब्बास ने भी अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी। राणा मुशायरों के लोकप्रिय शायरों में से एक हैं और विदेशों में भी मुशायरों में भाग ले चुके हैं। उन्हें 2014 में ‘शाहदावा’ किताब पर अकादमी पुरस्कार मिला था।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में साहित्यकारों और लेखकों को किसी न किसी पार्टी का मान लिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं अपनी पुरस्कार राशी का चैक बना देता हूं। सरकार जिसको चाहे भिजवा दे, मैंने शायद गलती से अवॉर्ड ले लिया था। अब आगे से कोई भी अवॉर्ड नहीं लूंगा’। अपने अवॉर्ड लौटाने के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘लोग ये समझते हैं कि या तो मुन्नावर राणा डर गए हैं या बिक गए हैं, अगर मुझे बिकना होता तो मैं चालीस साल पहले बिक गया होता, अब कौन मेरी क्या कीमत देगा।ये अवार्ड मेरे लिए बोझ बन गया था, जिसे उतार रहा हूं’।