बंदर तो आपने देखे ही होंगे। इनके बहुत से तरीके इंसानों की तरह ही होते हैं। वैज्ञानिक तो यह कहते हैं कि मानव का विकास बंदर से ही हुआ है। खैर जो भी हो यह बात तो अपनी जगह सत्य है कि बंदर और मानव में बहुत सी समानताएं होती हैं। आज हम आपके सामने हाल ही में घटी एक ऐसी घटना का जिक्र कर रहे हैं जिसमें यह बात पूरी तरह से सत्य साबित होती है कि मानव और बंदरों में समानता होती ही हैं।
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क्या है घटना –
हाल ही में घटी यह घटना मध्य प्रदेश के जबलपुर की। यहां के संजीवनी नगर में एक गार्डन के पास बिजली का एक ट्रांसफार्मर रखा गया था। अचानक बंदरों का समूह उस जगह आकर उछल कूद करने लगा और उनमें से एक बंदर उस ट्रांसफार्मर के ऊपर जा बैठा, जिसके कारण वह बिजली की चपेट में आ गया। उस समय तेज आवाज और बिजली की चिंगारियां ट्रांसफार्मर से निकली, जिसके कारण काफी लोगों का ध्यान भी उस ओर चला गया। बंदर करीब 40 फ़ीट की ऊंचाई से नीचे की ओर गिर गया और बुरी तरह से घायल हो गया। उस जगह जल्द ही बहुत से लोगों की भीड़ लग गई और उस बंदर को बचाने के लिए बंदरों के समूह के छोटे बंदरों ने मोर्चा संभाल लिया। कई बंदर अपने और साथियों को चीख- चीख कर अवाज देने लगे। उसी समय वहां एक हाथ वाला एक बंदर आया और अपने घायल साथी को संभालने लगा।
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इस प्रकार से कोशिश की साथी को बचाने की –
इस एक हाथ वाले बंदर ने सबसे पहले घायल बंदर के पैरों की मालिश शुरू कर दी और फिर उसके हाथ और पैरों को खींचा ताकि उसकी मांसपेशियों की अकड़ निकल जाए। इसके बाद अपने घायल साथी के पूरे शरीर में दांतों से काट कर कंपन पैदा करने की भी कोशिश की। उस समय वहां खड़े लोग बंदर को अपने साथी का इस प्रकार इंसानी तरीके से इलाज करते देख चकित हो रहे थे। अपने घायल साथी को सही करने के लिए एक हाथ वाले बंदर ने मुंह से हवा रिवाइव करने की प्रक्रिया को भी किया ओर उसके हार्ट को भी पंप किया। घायल साथी को इस दौरान बंदर ने कई बार उल्टा और सीधा भी किया। यह प्रक्रिया 25 मिनट तक लगातार चलती रही, पर अंत में घायल बंदर की मौत हो गई। उसको बचाया नहीं जा सका।
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जानकारी होने पर मौके पर वन विभाग के अधिकारी भी आ गए और बंदर के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए। कुछ समय बाद बिजली विभाग के अधिकारी वहां ट्रांसफार्मर को सही करने के लिए आए।