मप्र के रहने वाले ब्रह्म शंकर शर्मा भले ही नौकरी पर ना हों और अपनी जिंदगी के हर लम्हें तंगी में गुजार रहे हों, पर फिर भी उन्हें मुस्कुराहट अपनी बेटी से हर पल मिलती रहती थी। उनकी बेटी जिदंगी की हर कठिन परिस्थितियों में प्रेरणा बन कर अपने पिता के सामने खड़ी रहती थी, पर आज वह खुशी जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही है। 11 नंवबर को अपने जन्मदिन के लिए स्कूल के दोस्तों को निमंत्रित करके लौट रही ब्रह्म शंकर की बेटी मोहिनी को क्या पता था कि रास्ते में एक ऐसा हादसा उसका इंतजार कर रहा होगा जो उसकी जिंदगी ही बदल देगा।
मोहिनी कमला नगर पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा की छात्रा है। मोहिनी को नाचने का बहुत शौक है। 3 अक्टूबर की दोपहर में जब वह स्कूल से छुट्टी होने के बाद अपने घर लौट रही थी उसी दौरान मिनी बस की चपेट में आ गई। नाचने-फुदकने वाली मासूम मोहिनी बस एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल है। स्थिति इतनी गंभीर है कि उसका पैर काटने तक की नौबत आ गई है। डॉक्टर अभी भी इस कोशिश में लगे हैं कि मोहिनी का पैर काटे बिना उसे बचा लिया जाए।
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11 नवंबर यानी दिवाली पर जन्मदिन मनाने लिए मोहिनी अपने माता-पिता से बार-बार कह रही थी कि उसने अपनी फ्रेंड्स से पार्टी का वादा किया था, वो उसे पूरा करना चाहती है। मोहिनी नर्मदा अस्पताल के ICU में भर्ती है।
मोहिनी के पैर को काटने से बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम काफी जी जान से जुटी हुई है। उनकी कोशिश है कि मोहिनी का पैर काटने से बचाया जा सके। शुक्रवार को डॉक्टरों की टीम ने दूसरा ऑपरेशन किया। इसके बाद से मोहिनी बेहोश थी, लेकिन शनिवार सुबह उसे होश आ गया है। होश आने के साथ ही उसने घर पर बर्थ-डे पार्टी देने की बात फिर दोहराई। उसके माता-पिता भी उसका मन रखने के लिए उसे जल्द घर ले जाने का वादा कर रहे हैं। डॉक्टरों ने मोहिनी के पिता को बताया है कि एक सप्ताह तक मोहिनी को विशेष निगरानी में रखा जाएगा।
पिता के नहीं थम रहे आंसू-
ब्रह्म शंकर शर्मा ने अपनी बेटी की बातों को याद करते हुए बताया कि मोहिनी एक्सीडेंट से पहले हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाती थी। हर बार वह भगवान से यही प्रार्थना करती थी कि उसके पिता को अच्छी नौकरी मिल जाए और उनका अपना घर हो। मोहिनी घर पर अक्सर डांस करती थी, लेकिन एक्सीडेंट के बाद आशंका है कि उसका पैर काट दिया जाएगा। हालांकि, डॉक्टर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पैर को ना काटना पड़े। ब्रह्म शंकर शर्मा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिता के बहते आंसू सबसे यही विनती कर रहे हैं कि आप सभी लोग मेरी बेटी के लिए दुआ करें कि वह दोबारा अपने पैरों पर खड़ी होकर झूम उठे।