बिहार चुनाव के नतीजे आ गए हैं और इन नतीजों ने केंद्र की सत्ताधारी एनडीए गठबंधन को आत्ममंथन के लिए विवश कर दिया है। पूरे लाव लश्कर के साथ बिहार चुनाव में उतरी बीजेपी जब मैदान में उतरने वाली थी उससे पहले बीजेपी ने बड़ा होमवर्क किया था। चुनाव से पहले दो दौर का सर्वे भी कराया गया। उस समय तो बीजेपी ही नहीं बल्कि पूरे देश को लग रहा था कि बीजेपी और उसकी एलाइंस को एकतरफा बढ़त मिलेगी।
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आंतरिक सर्वे के आधार पर बीजेपी भी संतुष्ट हो कर चुनाव मैदान में उतरी। पहले तो सवाल उठा कि बिहार चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा इस पर लंबे वक्त तक पशोपेश कायम रहा। फिर सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में काफी गतिरोध देखने को मिला। चुनाव से कुछ वक्त पहले जब सब कुछ तय कर लिया गया तो कुछ सीटों पर बीजेपी के सहयोगी दलों ने बीजेपी पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया। विवादित सीटों पर बीजेपी समर्थित प्रत्याशी को हराने के लिए सहयोगियों ने ही एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।
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नतीजन यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे सूबे में फैली। जिसका अच्छा खासा असर बिहार के जनमानस पर पड़ा। बिहार में बीजेपी अंत तक मुद्दे तलाशती रह गई, लेकिन विरोधियों को घेरने में नाकाम रही। बीजेपी को नीतीश के साथ किए गए 7 साल के कामों को भी भुनाना चाहिए था, लेकिन बीजेपी ने इसे अपने स्वाभिमान के खिलाफ समझ कर इस सुनहरे मौके को छोड़ दिया। यह बीजेपी की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। इसके अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण दो बिंदु हैं वो भी बीजेपी की हार के मुख्य कारण बने। एक तो संघ प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण पर दिया गया बयान, जिसको महागठबंधन ने पूरी तरह से भुनाया और दूसरा प्रधानमंत्री को सीधे बिहार में प्रोजेक्ट करना। उस पर भी गरिमा पूर्ण पद पर रहते हुए लालू और नीतीश पर नरेंद्र मोदी की तीखी टिप्पणी, जिसने जनता के दिमाग पर काफी असर डाला और जिसका नतीजा आज सबके सामने है।
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अब अगर बात करें सहयोगी दलों की तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विरोध की लहर और मोदी के नाम के जादू की वजह से सहयोगी दलों की वैतरणी लोकसभा चुनाव में पार लगी थी, जिसे सभी सहयोगी अपना मजबूत जनाधार समझने की भूल कर बैठे थे। हलांकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी इसी मुगालते में सीटों की रेवड़ियां बांटी जो बीजेपी और सहयोगियों के लिए भारी पड़ गई।
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इस चुनाव में अगर किसी का सबसे ज्यादा फायदा हुआ तो वो है कांग्रेस। कांग्रेस जो बीते 2 साल से वेंटीलेटर पर थी उसके लिए बिहार चुनाव के नतीजों ने फ्रेश ऑक्सीजन का काम किया है। बिहार चुनाव के नतीजे ने कांग्रेस के गमगीन माहौल को खुशी का मौका दे दिया है। बिहार चुनाव के नतीजों से बीजेपी के पैर के नीचे की जमीन खिसकती नजर आ रही है। बीजेपी की चिंता इस बात को लेकर बढ़ गई है कि पहले पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और उसके बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव आने वाले वक्त में है, जिसको लेकर बीजेपी नेतृत्व की रातों की नींद हराम होगी।