ईश्वरीय शक्ति के चमत्कार की बात करें तो इसके विषय में विज्ञान भी अछूता रहा है। चमत्कारों के बारे में विज्ञान भी आज तक कोई सही तथ्य नहीं दे पाया है कि इस धरती पर होने इन घटनाओं का आखिर राज क्या है। ऐसे ही चमत्कारिक रहस्य के बारे में आज हम आपको बता रहें है, पिथोरागढ़ में बने काली देवी के एक मंदिर में कई अनोखे चमत्कार दिखने को मिलते है। काली देवी के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसमें देवी खुद आराम करने के लिए आती है, इनके विश्राम गृह पर सुंदर सेज हर रोज सजाई जाती है, जिस पर रात को मां काली विश्राम करके सुबह जब निकल जाती है तो उनकी सेज के फूल बिखरे पड़े रहते है। वहीं मां काली के लिए रात में चढ़ाया गया प्रसाद भी सुबह जूठा पड़ा हुआ मिलता है। भले ही लोग इस बात पर यकीन ना करें, पर वहां पर मिले प्रमाण इस बात को सच साबित करते है और वहां की मिली तस्वीरे भी इस सच को सही साबित करती है।
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मां शारदा माई का मंदिर
म.प्र. के सतना जिले की त्रिकुटा पहाड़ियों पर लगभग 600फुट की ऊंचाइयों पर स्थित मां शारदा देवी के मंदिर के बारे में भी कई चमत्कारिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें की एक कथा के अनुसार इस मंदिर में जो कोई भी रात को रूकने की कोशिश करता है। उसकी मृत्यू निश्चित रूप से हो जाती है। इसलिए इस मंदिर के दरवाजे हर रात को बंद कर दिए जाते है। इसके पीछे का कारण बताया जाता है कि इस मंदिर में हर रात को आल्हा और उदल नाम के दो भाई दर्शन करने आते हैं। ये शारदा माता के सबसे बड़े भक्त थे। इन्हीं दोनों ने ही सबसे पहले घनें जंगलों के बीच में से शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 वर्षो तक घोर तपस्या करके देवी को प्रसन्न किया था। जिनसे प्रसन्न होने के बाद मां देवी नें उन्हें अमरत्व होने का आशीर्वाद दिया था। जब से लेकर आज तक ये दोनों भक्त माता शारदा के दर्शन के लिए हर रोज सुबह के समय सबसे पहले आकर उनका सम्पूर्ण श्रंगार करके वापस लौट जाते है। आज भी मां भगवती के चरणों में रोज इनके चढ़ाये हुए ताजे फूल देखे जा सकते है। ये वही वीर योद्धा है जिन्होनें पृथ्वीराज चौहान से भी युद्ध किया था।