देश दुनिया में जितने लोग उतनी परंपराएं। सभी लोग अपने-अपने धर्मों संस्कारों का पालन कर अपने रिवाजों को पूरा करते है। पर कहीं-कहीं ये रिवाज सभी से काफी भिन्न होने के कारण ऐतिहासिक बन जाते है। परंपराओं के साथ बंधे ये रीति-रिवाज इसलिए ज्यादा प्रसिद्ध हो जाते हैं क्योंकि ये काफी कठिन और दिल दहला देने वाले होते हैं। इन्हीं में से एक है मर्द की ‘मर्दानगी’ को प्रमाणित करने वाली परंपरा। जिसमें उन्हें अपने रिवाजों का निर्वाह करने के लिए कई कठिन परिस्थितियों से होकर गुजरना पड़ता है। जिसके बारें में आप भी जानकर हो जाएंगे हैरान। आज हम आपको बता रहे है मैंडन जनजाति के बारे में जो कि नॉर्थ डकोटा में पाई जाती है। यहां के लोग पुरूषों की पुरूषतत्व को साबित करने के लिए किस प्रकार की बेहद क्रूर और दर्दनाक भरी परंपरा का निर्वाह करते है जाने इसके बारे में…
नॉर्थ डकोटा में मैंडन जनजाति के लोग बेहद दर्दनाक परंपरा का निर्वाह करते है। जिसे ओकिपा परंपरा के नाम से जाना जाता है। इस परपरा में अपनी किशोरावस्था को पार करने के बाद जब लड़के युवावस्था की दहलीज में पैर रखते है तो उस समय उन्हें अपनी मर्दानगी का प्रमाण देना पड़ता है। जिसके लिए उन्हें असहनीय शारीरिक दर्द से होकर गुजरना पड़ता है।
पुरुषों को अपनी ‘मर्दानगी’ साबित करने के लिए कई दिनों तक भूखे रहना पड़ता है। इसके बाद उनके शरीर में लोहे के स्क्रू से छेद करके रस्सी से लटकाया जाता है। जिससे अधिक दर्द पीड़ा होने के साथ ही काफी मात्रा में खून भी बह जाता है। जो युवक जितना अधिक दर्द बर्दाश्त करके अधिक समय तक लटका रहेगा वही मैंडन जनजाति का मर्द कहलाया जायेगा। उसी युवक को जनजाति का नेता बनाया जाता है।