हमारे देश की सेवा करने वाले भारत के एक सच्चे सपूत जो कभी अपने घर की परिस्थिति को सुधारने के लिए पेपर बेच कर अपनी आजीविका का साधन जुटाते थे, किसे मालूम था कि ये देश के वीर पहरीदार कल को देश की ताकत बनेगें। हम बात कर रहे हैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब की, जो देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक गिने जाते हैं। आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी शक्ति हमेशा देश को मजबूत बनाएं रखेगी। एटमी ताकत से नवाजने वाले डॉ कलाम का जन्म आज ही के दिन 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति होने के बाद भी वो हमेशा ग्रामीणों के विकास के लिए काम करते रहे। देश के हर राज्य का दौरा करते रहे। उनका एक सपना था गांव को एक विकास की धूरी से जोड़ने का और उन्हें निखारकर एक विकसित देश बनाने का। अंतिम समय तक वे इस काम में सक्रिय रूप से काम करते रहे और ज्ञान की अलख जगाने का काम करते रहे।
आज अब्दुल कलाम भले ही हमारे बीच नहीं है पर उनके द्वारा बही प्रेम की गंगा कई जन्मों तक लोगों के दिलों में राज करती रहेगी। भारत के मिसाइल मेन के नाम से सम्मानित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आजाद समाज के सभी वर्गों और विशेषकर युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने रहे हैं। देश के विकास के लिए वे युवाओं को हमेशा प्रेरित करते रहे हैं। जिससे हमारा देश तेजी से प्रगति करे। एक राष्ट्रपति होने के बाद भी एक साधारण सी पोशाक के साथ बने रहकर उन्होंने ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। वे हर ग्रामीण, युवाओं के साथ-साथ बच्चों के दिलों में भी राज करते थे। बच्चे उनके विशेष अतिथि हुआ करते थे। हर किसी के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। वो देश के सबसे सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे। परमाणु हथियार और हल्के लड़ाकू विमान परियोजना में उनके योगदान को हर भारतीय आज असीम श्रद्धा के साथ उनको सलाम करता है। एक मजबूत ताकत बनकर भारत के हर सपने को साकार करने में ‘जनता के राष्ट्रपति’ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का हाथ रहा है।