मुश्किलें तो हर किसी के जीवन में आती है, मगर उन मुश्किलों से लड़कर जो सफलता प्राप्त करते हैं सफलता उन्हीं के कदम चूमती है और वही दुनिया में अपना नाम बना पाते है। आज हम जिस महिला की बात कर रहें है वह दुनिया भर की महिलाओं के लिए मिसाल है। इनका शानू बेगम है और यह दिल्ली की रहने वाली है। शानू बेगम की तारीफ इसलिए की जा रही है क्योंकि उन्होंने 40 वर्ष की आयु में अपनी दसंवी की परीक्षा पास की। अब आप सोच रहे होंगे कि भला इसमे कौन सी बड़ी बात हो गई तो आपको बता दें कि उन्होंने यह परीक्षा इसलिए दी ताकि वह अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकें। लाइसेंसे बनने के बाद अब शानू दिल्ली में महिलाओं के लिए कैब ड्राइवर बन गई है। चलिए जानते है शानू के संघर्ष की कहानी के बारे में।
तीन बच्चों को मां है शानू –
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आपको बता दें कि शानू सिंगल मदर है जोकि खुद अपने घर का सारा खर्चा चलाती हैं। शानू बेगम के तीन बच्चे हैं जिनकी परवरिश के लिए उन्होंने छोटा बड़ा हर काम किया, यहां तक इन्होंने कुक, केयर जैसे काम भी किए। इतनी मेहनत के बावजूद वह मुश्किल से ही कुछ पैसे जुटा पाती थी और उसी में घर का गुजारा करती थी। इसके लिए उन्होंने आजाद फाउंडेशन से संपर्क किया जिसके बाद उन्होंने 6 महीने का ड्राइविंग कोर्स किया।
ऊबर कंपनी में मिली जॉब –
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धीरे धीरे उन्होंने गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग भी की। इसके बाद उन्होंने एक निजी उपयोग हेतु एक साल तक ड्राइविंग भी की। ड्राइविंग में उनके अच्छे हुनर को देखते हुए उन्हें सखा नाम की एक कैब सर्विस में जॉब मिल गई। यह कैब सर्विस केवल महिलाओं को ही सर्विस देती है। आज शानू जानी मानी कैब सर्विस कंपनी ऊबर के लिए काम करती है। इस बारे में शानू बेगम कहती है कि अगर वह न पढ़ती और उन्हें फाउंडेशन का सहयोग न मिलता तो आज भी वह किसी के घर पर सफाई करती होती।
महिलाओं के लिए है प्रेरणा –
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जैसा कि आप जानते ही हैं कि लोगों को कैब ड्राइवर के रुप में देखकर लोग काफी हैरान है। दरअसल जहां तक समाज की बात है तो लोगों की यही सोच रहती है कि एक महिला कैब ड्राइवर कैसे हो सकती है, लेकिन शानू इन्हीं सब लोगों के लिए एक मिसाल बन गई है और उन महिलाओं के लिए प्रेरणा जो घर के कामों में ही सारी जिंदगी बिता देती है।