बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी “मिसाइल मैन” जनता के राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, मिसाइल और परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में भारत की दुनिया में अलग पहचान कायम करने में डॉ कलाम का सबसे बड़ा योगदान था। अगर पोखरण-2 का महानायक डॉ कलाम को कहा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा। पोखरण- 2 के सफल परीक्षण की कहानी बड़ी दिलचस्प है। अमेरिका के जासूसी उपग्रह भारत की हर हरकत पर अपनी पैनी नज़र गड़ाए थे ऐसे में परमाणु परीक्षण करना हंसी खेल नहीं था।
भारत इससे पहले सन् 1995 में परमाणु परीक्षण करने की तैयारी में था लेकिन अमेरिकी उपग्रह की नज़र में आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय दबाव की वजह से 1995 के परीक्षण को रोकना पड़ा था। ऐसे में अमेरिकी खुफिया उपग्रहों से भारत के परमाणु कार्यक्रम को छिपा कर सफल परीक्षण करना बहुत बड़ी चुनौती थी। इस परीक्षण के लिए देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके सुरक्षा सलाहकार डॉ कलाम ने तो राजी कर लिया, लेकिन दुनिया की नज़र से बचा कर इतने बड़े प्रोजेक्ट को सफल बनाना बहुत बड़ी चुनौती थी।
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इस सीक्रेट मिशन की कमान डॉ कलाम के हाथ में थी। ऐसे में परमाणु बमों को भाभा ऐटमिक रिसर्च सेंटर से परीक्षण स्थल तक लाने के लिए सेब की पेटियों का सहारा लिया गया और सेब की पेटियों को आर्मी के ट्रकों पर लाद कर पोखरण के परीक्षण स्थल तक पहुंचाया गया। जासूसी उपग्रह और दुनिया की नज़रों से बचाने के लिए ज़मीन के नीचे प्रोजेक्ट स्थल को छिपाने के लिए ज़मीन के ऊपरी सतह को झाड़ियों से ढक दिया गया, और इस प्रोजेक्ट में शामिल सभी वैज्ञानिकों के नाम बदल दिए गए थे।
डॉ कलाम का नाम मेजर जनरल पृथ्वीराज रखा गया। इससे भी बड़ी बात ये थी कि सभी एक्टिविटीज रात के अंधेरे में की जाती थी, 24 घंटे में एक निश्चित समय का इंतज़ार किया जाता था जब अमेरिकी सेटेलाइट दूसरे ग्रह की परछाई में छिपता था उस समय सेना की वर्दी को पहने वैज्ञानिक काम को अंज़ाम देते थे। तब जा कर मई 1999 में ‘ऑपरेशन शक्ति ’ को अंज़ाम तक पहुंचाया गया। 11 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद जैसे ही डॉ कलाम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपायी को जैसे ही खबर दी गई कि “बुद्धा मुस्कराए” तो ये मैसेज सुन कर अटल बिहारी वाजपेयी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इसी के साथ भारत दुनियाभर में परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया। भारत यहीं नई रुका, डॉ कलाम की टीम ने एक के बाद एक कुल 5 परमाणु बमों का सफल परीक्षण किया, और दुनिया के सामने डॉ कलाम ने गर्व से इसकी घोषणा की।