आज नव रात्रि का दूसरा दिन है। ये दिन मां शक्ति के दूसरे स्वरूप ‘ब्रहमचारिणी’ का होता है। इस दिन इनकी पूजा बड़े ही धूमधाम और विधि-विधान से की जाती है। इन्हें त्याग और तपस्या की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। शास्त्रों के अनुसार मां ब्रहमचारिणी को वेद शास्त्रों और ज्ञान की माता भी कहा जाता है। फलदायिनी देवी ब्रहमचारिणी मां का स्वरूप अत्यंत भव्य और तेजयुक्त है। मां देवी के वस्त्र धवलयुक्त होने के साथ-साथ इनके दायें हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अत्यंत फल देने वाला होता है।
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माना जाता है कि मां भगवती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिये हजारों वर्ष तक घोर तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान मां ने हजारों वर्ष तक सिर्फ फलों का सेवन किया और तीन हजार वर्ष तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इसी घोर तपस्या से इन्हें ब्रहमचारिणी का स्वरूप प्राप्त हुआ। ब्रहमचारिणी का अर्थ ही होता है तप का आचरण करने वाली। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है। मां ब्रहमचारिणी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। इनकी कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। मां सबके भण्डार भरती है। इसलिए नवरात्रि के समय में जो भी दुर्गा चालिया का पाठ रोज करता है। उसके सभी कष्टों को मां हर लेती है।
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन आप देवी मां दुर्गा को मनाने के लिये इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आज के दिन आप इनकी पूजा पूरे विधि विधान से करें। और इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें। हर घर में इन नौ दिनों तक सुख शांति की प्राप्ति के लिये सुबह शाम घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा आरती करने के साथ दुर्गा चालिसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिये। आपके सभी कष्टों को हरने वाली वाली मां अवश्य रूप से आपका कल्याण करेगी।