भारत देश धार्मिक स्थालों का देश कहां जाता है क्योंकि इस देश में ही सबसे ज्यादा तीर्थ स्थल व मंदिर है। हमारे देश के मंदिरों में विराजित की गई प्रतिमाओं में इतने चमत्कारिक रहस्य छिपे है जिसकी प्रसिद्धि दूर देश तक पहुंच ही जाती है। इनके रहस्यों को आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है। ऐसी ही रहस्यमयी प्रतिमा छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की ढोलकल पहाड़ी में देखने को मिली। गणेश जी की इस विशाल प्रतिमा को देखकर लोग आश्चर्य में हैं। इस प्रतीमा के चार हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचने का कारण क्या था और इसे किस तरह से इतनी ऊंचाई पर स्थापित किया गया होगा, इस रहस्य को कोई सुलझा नहीं पाया है। इस क्षेत्र के लोग इसे इन्हें अपना रक्षक मानकर इनकी पूजा कर रहें हैं।
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पुरातत्व विभाग के द्वारा खोजी गई इस प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि ढाई फीट चौड़ी और तीन फीट ऊंची ग्रेनाइट पत्थरों से बनी यह प्रतिमा बेहद कलात्मक है। इस प्रतिमा के ऊपरी वाले दाएं हाथ में फरसा और बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दांत है जबकि निचला दायां हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है और बायां हाथ मोदक लिए हुए है।
गणेश जी की इस प्रतिमा के बारे में रिसर्चर्स का मानना है कि मूर्ति नागवंशियों के शासनकाल के दौरान की है, जो लगभग करीब एक हजार साल पुरानी है। गणेश की मूर्ति के पेट पर नाग का चित्र भी अंकित है और इसी बात से अनुमान लगाया गया है कि इनकी स्थापना नागवंशी राजाओं के द्वारा कराई गई है। पर इतनी ऊंचाई पर लाने या वहां बनाने के लिए किस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया गया यह एक रहस्य है। ढोलकल पहाड़ी पर बनी चोटी की खासियत है कि यह ढोल के समान रोल बेलनाकार आकृति के बनी होने के कारण इसे ढोल की संज्ञा दी गई है। इसके अलावा इस जगह पर किसी आवाज को करने से बजने ये आवाज दूर-दूर तक गूंजती है।
अब इस ऐतिहासिक मूर्ति के गिरने के घटना सामने आई है। इस घटना से पुरातत्त्व विभाग के अधिकारी भी सकते में आ गए है कि कई सौ वर्षों से सही अवस्था में खड़ी यह मूर्ति अचानक कैसे गिर गई। रहस्यमयी तरीके से गायब इस मूर्ति के लिए कुछ लोगों का कहना हैं कि यह मूर्ति खाई में गिर गयी है। वहीं कुछ का कहना है कि ये मूर्ति चोरी हो गयी है। कई लोग इस घटना के पीछे नक्सलियों के होने की बात कह रहें हैं। फिलहाल अभी इस घटना की जांच चल रही है