छठ पूजा की धूम पूरे भारत में छाई हुई है। आज हम आपको 10वीं शताब्दी के एक महान सूर्य कुण्ड के बारे में जानकारी देंगे। आज के समय में इस सूर्य कुण्ड को ‘सूरज कुण्ड’ कहा जाना लगा है।
यह सूरजकुंड फरीदाबाद से आठ किमी दूर अरावली की गोद में बसा है। इसे तोमर वंश के शासक सूरजपाल द्वारा बनवाया गया था। इस कुंड के बीचों बीच भव्य सूर्य मंदिर है, जो राजा ने सूर्य देवता की उपासना के लिए तैयार कराया था। औद्योगिक नगरी में अब छठ पूजा का आयोजन भव्य तरीके से होता है।
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उगते सूर्य के रूप में कुंड का आकार-
इस कुंड का आकार उगते सूर्य के रूप में ही बनाया गया था, जो समृद्धि का प्रतीक है। छठ पूजा में पहले दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा होती है। अगले दिन उगते हुए सूर्य की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। जिस तरह से सूरजपाल ने इस जलाशय का निर्माण कराया था। यह सूर्य पूजा का प्रतीक है। मौजूदा समय में कुंड में एक बूंद भी पानी नहीं है। इस कुंड के नाम पर हर साल फरवरी में अंतरराष्ट्रीय मेले का आयोजन होता है। कुंड की देखभाल का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है।