शनि देव पर लोग तेल चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि तेल उनको बहुत प्रिय है, लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं। इसके पीछे की वजह को बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल इसके पीछे एक नहीं बल्कि दो पौराणिक कथाएं हैं। आइये अब आपको दोनों कथाओं के बारे में बताते हैं।
कथा 1 – रावण को हुआ जब अहंकार –
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पहली कथा रावण के अहंकार की है। रावण ने अपनी शक्ति तथा अहंकार के चलते सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था। इसी क्रम में उसने शनि देव को भी उल्टा लटका दिया था। जब भगवान हनुमान लंका पहुंचे तो उसने उनकी पूंछ में भी आग लगवा दी। इस बात से क्रोधित होकर हनुमान जी ने लंका में आग लगा दी। आग लगने पर सभी ग्रह आजाद हो गए। शनिदेव उल्टे लटके हुए थे और उनके शरीर में दर्द हो रहा था। हनुमान जी ने उनको उतार कर उनके शरीर पर तेल की मालिश की थी। इसी से प्रसन्न होकर उन्होंने कहा था कि जो मुझे तेल चढ़ाएगा उसकी हर इच्छा की पूर्ति होगी। माना जाता है कि तभी से शनि देव पर तेल चढाने का कार्य शुरू हुआ था।
कथा 2 – शनिदेव को हुआ था अहंकार –
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दूसरी कथा भी रामायण काल की ही है। कथा के अनुसार एक समय शनिदेव को अपनी शक्ति तथा पराक्रम का अहंकार हो गया था। अपने अहंकार में वह हनुमान जी के पास पहुंच गए तथा उनको युद्ध के लिए ललकारा। हनुमान जी ने उनके मन की बात जान ली तथा उनको युद्ध न करने के लिए समझाया पर शनिदेव नहीं मानें। बाद में इन दोनों के बीच युद्ध हुआ जिसमें शनिदेव हार गए। उनके शरीर पर गहरे घाव भी हो गए। वे पीड़ा में बहुत परेशान थे। इस दौरान हनुमान जी ने उनके शरीर पर तेल लगाया। जिससे उनका दर्द गायब हो गया। उस समय शनि देव ने कहा कि जो मुझे तेल दान करेगा वह मेरी कृपा का पात्र बनेगा। इस प्रकार से ये दो पौराणिक कथाएं इस बात को बताती हैं कि शनिदेव को तेल क्यों पसंद है और शनिदेव पर तेल चढाने की परंपरा कब से शुरू हुई।