उनाकोटी – यह है अनोखा पर्यटक स्थल, यहां होते है भगवान शिव परिवार के दर्शन

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देश में बहुत से धार्मिक स्थल है, पर इस स्थान से ज्यादा दिव्य शक्तियां आपको एक साथ विश्व में और कहीं देखने को नहीं मिलेगी। जी हां, आज जिस स्थान के बारे में हम आपको यहां बता रहें हैं वह अनगिनत दिव्य शक्तियों का आश्रय स्थल है। यह वैसे तो एक पर्यटक स्थल है, पर इसको एक धार्मिक तीर्थ के रूप में माना जाता है। इस स्थान का नाम “उनाकोटी” है, प्रकृति के बीच बसा यह स्थल यहां आने वाले को एक नया अनुभव प्रदान करता है। आपको बता दें कि यह पावन स्थल भारत के त्रिपुरा राज्य में है। यहां जाने के लिए आपको अगरतला से त्रिपुरा के लिए यात्रा करनी होती है और उसके बाद आपको उनाकोटी की ओर जाना पड़ेगा। उनाकोटी जानें का यह रास्ता घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है तथा करीब 8 किमी लंबा है। इस स्थान पर पहुंचने के बाद आपको शाम से पहले लौटना होता है। असल में यह स्थान बोडो आतंकियों की परिधि में आता है अतः घूमने के लिए आपको यहां सुबह 10 से 5 बजे तक का ही समय मिलता है।

हर पत्थर पर है देवताओं की प्रतिमा

उनाकोटीImage Source: 

उनाकोटी एक ऐसा स्थान है जहां पर आपको चारों और देव प्रतिमाएं ही दिखाई देती हैं। ये सभी प्रतिमाएं पत्थरों पर रेकी गई हैं। इन प्रतिमाओं को कब और कितने समय पहले किसने बनाया था इस बात का कोई पता नहीं लग सका है। खैर इस स्थान पर आकर आपको ऐसा महसूस होता है जैसे आप देवताओं के मध्य आ गए हों। यहां पर 2 प्रकार की देव प्रतिमाएं पाई जाती हैं। एक वे जो पत्थरों से निर्मित की गईं है तथा दूसरी वे जो चट्टानों पर उकेरी गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस स्थान पर 99 लाख से ज्यादा देव प्रतिमाएं हैं इसलिए ही इस स्थान को उनाकोटी कहा जाता है।

भगवान शिव का है यहां से संबंध

उनाकोटीImage Source: 

मान्यता है कि प्राचीन काल में भगवान शिव सभी देवी देवताओं के साथ यात्रा पर थे। इस स्थान पर आकर सभी ने भगवान शिव से आग्रह किया कि रात्रि में यहीं विश्राम कर लें। भगवान शिव ने यह बात मान ली, पर शर्त यह राखी की कल सूर्य निकलने से पहले सभी को उठना पड़ेगा अन्यथा जो नहीं उठ पायेगा वह यहीं रह जायेगा। सुबह होने पर सभी देवता नींद में सोये हुए थे। भगवान शिव यह देख काशी की ओर अकेले ही चले गए और सभी देवता पत्थर की प्रतिमाओं में तब्दील हो गए। खैर मान्यता कुछ भी हो यहां के प्राकृतिक स्थान पर आकर आपको आनंद का अनुभव जरूर होता है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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