चीन में बच्चों को ओलंपिक गेम्स में तैयार करने के क्रूर तरीके

-

अभी हाल ही हुए ओलंपिक गेम्स में कई देशों ने हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा दिखाने की कोशिश की थी। जिसमें कुछ देशों को उनकी प्रतिभा के लिए कई पदकों से सम्मानित भी किया गया। भले ही हमारा देश भारत कोई विशेष प्रदर्शन नहीं कर पाया हो, लेकिन यदि चीन की बात करें तो इस देश के एथलिटों नें 26 गोल्ड 18 सिल्वर और 26 कास्य पदकों को अपनी झोली में डाल हर बार की तरह इस बार भी अपना दबदबा कायम रखा। यहां के एथलीट्स ने अपनी भारी कढ़ी मेहनत के दम पर कुल 70 मेडल जीतकर चीन को तीसरे स्थान पर ला खड़ा किया। चीन के इन मेडल्स को लाने के लिए वहां के एथलीट्स को बड़ी ही कड़ी मेहनत करना पड़ती है।

chinese-sports-schools-chinesesports-schools-undergo-gymnasticsundergo-gymnastics-training-in-chinaolympic-starolympic1Image Source:

इन्हें बचपन से ही दी जानी वाली उनकी ट्रनिग बढ़ी ही क्रूर और निर्दयी होती है। उनका पूरा बचपन इसी ट्रेनिग में ही गुजर जाता है। आज हम आपको उस जगह के बारे में बता रहे है जहां पर चीन पहले से ही ओंलपिक में अपनी धाक बनाये रखने के लिए बच्चों को तैयार करता है और उनके साथ किस प्रकार से निर्दयीता बरतता है।

chinese-sports-schools-chinesesports-schools-undergo-gymnasticsundergo-gymnastics-training-in-chinaolympic-starolympic2Image Source:

चीन में चैम्पियन बनाने के लिए एथलीट्स को मात्र 3 साल की छोटी उम्र से ही ट्रेनिंग दी जाने है । इस दौरान उन नन्हें बच्चों को बेहद मुश्किल और दर्द भरी ट्रेनिंग दी जाती है। बच्चों को दी जाने वाली ट्रेनिंग इतनी क्रूर और दर्दनाक होती है कि इसे देखकर अच्छे-अच्छों के रोगंटे खड़े हो जाते है।

chinese-sports-schools-chinesesports-schools-undergo-gymnasticsundergo-gymnastics-training-in-chinaolympic-starolympic3Image Source:

ट्रेनर के दौरान किये जाने वाले इस क्रूर व्यवहार से बच्चे दर्द से चीखते-चिल्लाते और रोते विलखते रहते है। यहां तक कि उनके शरीर पर लगने वाली चोटों का असर भी उन लोगों पर नहीं पड़ता।

chinese-sports-schools-chinesesports-schools-undergo-gymnasticsundergo-gymnastics-training-in-chinaolympic-starolympic4Image Source:

लेकिन चीन के बने कड़े नियमों के मुताबिक बच्चों को ट्रेनिंग छोड़ने की इजाजत नहीं होती है। वैसे तो बच्चों के परिवाले खुद ही उन्हें अपनी खुशी से ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं। परिवार वालों का मानना है कि अभी के दर्द से बच्चों का आने वाला भविष्य मजबूत हो जायेगा। वो देश के लिए मेडल्स जीतने के काबिल भी हो जाएंगे।

chinese-sports-schools-chinesesports-schools-undergo-gymnasticsundergo-gymnastics-training-in-chinaolympic-starolympic5Image Source:

ट्रेनिंग के समय उन्हीं बच्चों का सिलेक्शन किया जाता है जो अपनी ही उम्र के बच्चों से ज्यादा तेज होते हैं। ट्रेनिंग देते समय बच्चों की मसल्स का लचीलापन बनाये रखने के लिए उन्हें कई प्रकार की दर्दनाक एक्सरसाइज कराई जाती है। इस एक्सरसाईज करने के दौरान बच्चों को पैर फैलाने से और हाथ से पूरी बॉडी का बैलेंस बनाते समय काफी तकलीफ होती है। जिसका दर्द सहते हुए बच्चे अपनी इस ट्रैनिंग को पूरा करते हैं। बच्चों को ओलपिंक में हिस्सा लेने के लिये मात्र तीन साल की उम्र से ही ट्रेनिंग के लिए तैयार किया जाने लगता है।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments