खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं…. नहीं भूल पाएंगे कर्नल संतोष मधुकर घोरपडे की शहादत को

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wahgazab.com इस वीर की शहादत को श्रृद्धा सुमन अर्पित करता है। आतंकवादियों से लड़ते शहीद हुए कर्नल संतोष मधुकर घोरपडे का शव उनके पुस्तैनी गांव पोगरवाडी में गुरुवार को पूरे सैनिक सम्मान के साथ ले जाया गया। यहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

भारत के इस वीर सपूत, जिसने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए अपने प्राण दे दिए उस कर्नल संतोष महाडिक की वीरगाथा को कोई नहीं भूल पाएगा। 39 साल के कर्नल संतोष महाडिक का पार्थिव देह तो पंचतत्व में विलीन हो जाएगा, लेकिन इस जांबाज सिपाही ने जिस तरह से आतंकियों के खिलाफ लड़ते हुए अपनी टीम को लीड कर भारतीय सेना के नेतृत्व की सर्वोच्च परंपरा को कायम रखा उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

तिरंगे में लिपटे 39 साल के कर्नल महाडिक के शव को देख सभी की आंखें नम हो गईं। मां की आंखों से निकलते आंसू अपने लाल के उठने का इंतजार कर रही थी। कर्नल के दो बच्चों को क्या मालूम था कि पिता से उनका मिलन इस तरह से होगा। वे अपनी मां के साथ रोते हुए पिता को अंतिम विदाई दे रहे थे। कर्नल संतोष अपने पीछे पत्नी, 5 साल का बेटा और 11 साल की बेटी छोड़ गए हैं।

Santosh-MahadikImage Source; http://images.jansatta.com/

कर्नल महाडिक का पार्थिव शरीर जब उनके मूल गांव पोगरवाडी में लाया गया तो आस-पास का पूरा गांव से उनके अंतिम दर्शन करने लिए उमड़ पड़ा। सभी की आंखें नम हो गईं। एक तरफ गांव वालों के आंसू थम नहीं रहे थे तो दूसरी ओर पोगरवाडीवासियों के लिए यह गर्व का दिन भी था, क्योंकि उनके गांव का यह दूसरा घोरपडे शहीद हुआ था। इससे पहलेपोगरवाडी के अंकुश घोरपडे 1999 के करगिल युद्ध में शहीद हुए थे।
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने शहीद कर्नल संतोष को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके परिवार वालों को सांत्वना दी।

कर्नल महाडिक की शहादत की कहानी-
मंगलवार को सीमा पार से घुसे आतंकवादियों से हाजी नाका के घने जंगलों में लड़ते हुए कर्नल महाडिक घायल हो गए थे। उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए श्रीनगर लाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था।

सतारा जिले के पोगरवाडी में रहने वाले संतोष महाडिक पोगरवाडी के सरपंच रहे मुधकर घोरपडे के बेटे थे। उनके पिता का पिछले साल ही निधन हुआ था। इन दिनों संतोष की बहन शोभा घोरपडे पोगरवाडी की सरपंच हैं। संतोष सतारा सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद सेना में भर्ती हुए और 41 राष्ट्रीय राइफल्स में कर्नल के पद तक पहुंचे। उनका वास्तविक नाम संतोष मधुकर घोरपडे था। कर्नल महाडिक की पत्नी ऊधमपुर के सैनिक स्कूल में शिक्षिका हैं। बुधवार को वे भी बच्चों के साथ सतारा आ गई थीं। संतोष दिसंबर में पोगरवाडी आने वाले थे और इसकी सूचना उन्होंने अपने भाई जयंत घोरपडे को दे दी थी।
वे पोगरवाडी के विकास की योजना पर काम कर रहे थे। इसी सिलसिले में गांव के लोगों के साथ दिसंबर में विचार-विमर्श करना चाहते थे।
थी खून से लथ-पथ काया, फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवा के
जब अन्त समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं …..

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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