निर्भया के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर देने वाला नाबालिग दोषी भले ही रिहा हो गया हो और निर्भया को इंसाफ नहीं मिल पाया हो, लेकिन आपको यह जानकर थोड़ा सुकून होगा कि अब भविष्य में किसी निर्भया के साथ नाइंसाफी नहीं होगी। बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे जघन्य अपराध में लिप्त पाया जाने वाला कोई भी नाबालिग रिहा नहीं होगा। राज्यसभा में मंगलवार को काफी जद्दोजहद के बाद जुवेनाइल जस्टिस बिल में संशोधन कर किशोर की उम्र 18 से घटाकर 16 कर दी गई है।
बता दें कि जब पूरे देश की भावनाएं निर्भया के हत्यारे नाबालिग की रिहाई के विरोध में उफान मार रही थीं तब ऐसे दोषियों के लिए कानून बदलने की मांग पुरजोर तरीके से उठ रही थी। यहां तक कि इस मांग को लेकर निर्भया के माता पिता भी खुद सड़क पर उतर आए थे। ऐसे में संसद ने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए और इस मांग को जायज महसूस करते हुए राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल को एक सुर में मंजूरी दे दी।
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सभी को पता है कि लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में यह बिल अटका पड़ा था। जिसे इस मंगलवार को राज्यसभा में भी हरी झंडी मिल गई। अब ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपी को अधिकतम दस साल की सजा दी जा सकेगी। बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे पांच जघन्य अपराधों को इस श्रेणी में रखा गया है। निर्भया कांड की तीसरी बरसी पर राज्यसभा द्वारा पास किया गया यह बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह बिल कानून की शक्ल ले लेगा। बिल पर चर्चा के समय दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया के माता-पिता भी संसद में मौजूद थे। उन्होंने भी इस बिल के पास होने पर खुशी जताई है।
निर्भया की मां ने कहा कि मुझे खुशी है कि बिल पास हो गया, लेकिन दुख इस बात का है कि मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल पाया। निर्भया के पिता ने कहा कि राज्यसभा से पास यह बिल मेरी बेटी को श्रृद्धांजलि है। वहीं, केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने बिल के पास होने पर खुशी जताते हुए कहा कि सभी लोगों ने इस बिल को पास होने के लिए सपोर्ट किया, इसके लिए सभी का धन्यवाद।