अयोध्या प्रसिद्ध और पौराणिक शहरों में से एक है। सब जानते हैं कि श्रीराम का जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। भगवान राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था। सूर्यवंश के सभी राजाओं की राजधानी अयोध्या ही रही है। भगवान राम ने भी कई वर्षों तक अयोध्या में राज किया। हम आपको आज की अयोध्या के बारे में बताने जा रहे हैं। कैसा है आज की अयोध्या का स्वरूप और अब वहां कौन-कौन से मंदिर मौजूद हैं।
आज का कनक भवन-
आज जो कनक भवन अयोध्या में मौजूद है वह कुछ साल पहले ही ओरछा के राजा द्वारा बनवाया गया था। कहा जाता है कि लगभग चार हजार साल पहले भी यहां इसी नाम का मंदिर था। कनक भवन को भगवान राम का अंतःपुर या सीता महल भी कहा जाता है। मंदिर में सीता-राम की संगमरमर की मूर्तियां स्थापित हैं। कनक भवन में दूसरी मंजिल पर भगवान राम की अंतःपुरी है। वहीं, एक कमरे में स्नान गृह और दूसरे में श्रृंगार गृह है।
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आज अस्थाई मंदिर में विराजित हैं श्रीराम-
कनक भवन के आगे श्रीराम जन्म भूमि है। इतिहासकार मानते हैं कि यहां पर भगवान राम का एक प्राचीन मंदिर था, जिसे मुगल बादशाह बाबर ने सन् 1526 में अयोध्या पर आक्रमण के समय तोड़ कर उसकी जगह एक मस्जिद बना दी थी। आज भगवान राम की मूर्ति एक अस्थाई मंदिर में स्थापित है। हनुमान गढ़ी से राम जन्म भूमि का मार्ग लगभग आधे कि.मी. का है। इस मार्ग में कई मंदिर हैं।
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मौजूद हैं कई कुण्ड-
मान्यता है कि सबसे पहले भगवान ब्रह्मा ने अयोध्या की यात्रा की थी और अपने ही नाम से एक ब्रह्मकुंड भी बनाया था। इसके अलावा यहां पर माता सीता का बनाया हुआ सीता कुंड भी है, जिसे भगवान राम ने वरदान देकर सभी कामनाएं पूरा करने वाला कुंड बना दिया था। अपने सभी पापों से मुक्ति पाने के लिए यात्री इस कुंड में स्नान करते हैं। इसी पर एक रुक्मिणी तीर्थ भी है। कहा जाता है कि इस कुंड का निर्माण उसी जगह पर किया गया है जहां पर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था।
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घाटों के लिए प्रसिद्ध है अयोध्या-
अयोध्या में सरयू नदी के तट पर कई पक्के घाट हैं जिसका वर्णन कई ग्रंथों में पाया जाता है। भले ही समय के साथ सरयू नदी की धारा अब घाटों से दूर चली गई है, लेकिन उसका महत्व आज भी उतना ही है। यहां पर लगभग 13 घाट हैं। सभी घाटों पर अनेक मंदिर बने हुए हैं।
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श्रीराम कोट मंदिरः यहां पूजी जाती थी श्रीराम की चरण पादुकाएं-
कहा जाता है कि एक समय में इस जगह पर बहुत ही बड़ा किला था जो एक बड़े भू-भाग पर फैला हुआ था। समय के साथ वह किला गायब हो गया। इस जगह पर भगवान राम वन जाते समय कुछ देर के लिए रुके थे। कहा जाता है कि यहां पर भगवान राम की चरण पादुकाएं कई शताब्दियों तक पूजी जाती रहीं। आज उस जगह पर जो मंदिर है उसे अयोध्यानाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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यहां लिखी थी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस-
यहीं पर एक तुलसी चौरा नाम की एक जगह है। कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने इसी जगह पर श्रीरामचरितमानस की रचना शुरू की थी। यहां पर उनकी एक आकर्षक प्रतिमा है। इस जगह को आज पार्क का रूप दे दिया गया है और इस जगह को तुलसीदास उद्यान भी कहा जाता है।
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कब जाएं यहां:
रामनवमी पर यहां भारी उत्सव मानाया जाता है। इसके अलावा सितंबर से मार्च का मौसम अयोध्या की यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
कैसे पहुंचेंः
1. हवाई मार्ग- अयोध्या से लगभग 120 कि.मी. की दूरी पर गोरखपुर एयरपोर्ट है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर रेल या बस से अयोध्या पहुंचा जा सकता है।
2. रेल मार्ग- अयोध्या के देश के लगभग सभी बड़े शहरों के लिए रेल गाड़ियां चलती हैं।
3. सड़क मार्ग- अयोध्या का सड़क मार्ग भी कई शहरों से जुड़ा हुआ है।