दुनिया में तमाम देश अपनी बादशाहत कायम करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। पड़ोसी मुल्क भारत को हर वक्त नीचा गिराने की फिराक में लगे रहते हैं। भारत का हर तरह से मज़बूत होना निहायत ज़रूरी हो गया। ऐसे में डीआरडीओ ने संभाली आधुनिक हथियारों से होने वाले किसी भी संभावित हमलों से सुरक्षा की कमान। काफी वक्त से डीआरडीओ एंटी मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। इनमें अग्नि सीरीज की मिसाइलें भारत के लिए वरदान साबित हुई हैं।
Image Source:
इसी को आगे बढ़ाते हुए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने अग्नि 6 पर काम शुरू कर दिया है। अग्नि 6 इंटर कॉन्टीनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल की खूबियां नायाब हैं। हालांकि डीआरडीओ की ओर से आधिकारिक कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन रक्षा क्षेत्र के जानकारों का अनुमान है कि ये बैलेस्टिक मिसाइल अब तक की दुनिया की किसी भी मिसाइल से एक दम अलग और नायाब होगी।
Image Source:
जानकारों का मानना है कि अग्नि-6 मिसाइल 8 से 10 हज़ार किलोमीटर के टार्गेट को आसानी से अपनी ज़द में ले सकती है। इसकी सबसे बड़ी जो खासियत है वो ये है कि दुनिया की कोई भी मिसाइल एक बार में एक ही परमाणु हथियार ले जा सकती है, लेकिन अग्नि-6 एक बार में चार से छह परमाणु हथियार ले जाने के साथ सटीक हमला कर सकती है। मतलब साफ है कि ये जब अपनी रौ में होगी तो एक दो नहीं बल्कि दुश्मन के कई ठिकानों को एक साथ अपने अचूक निशाने से भेद सकती है। इंजीनियरिंग की भाषा में इसे मल्टीपल इंडिपेंडिबल री- एंट्री व्हीकल यानि एमआईआरवी नाम दिया गया है।
जानकारों की मानें तो इस मिसाइल में 4 से 6 ऐटमिक हथियार फिट करने की जगह होगी। इसका वजन 70 टन और लंबाई 20 मीटर होगी। इसे कैरी करने के लिए चलित ट्रक जैसे वाहन के सहारे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा। हालांकि इसका परीक्षण कब होगा ये वैज्ञानिकों ने नहीं बताया है।
एक बात ये भी है कि इसके बनने के बाद भारत को अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान जब न्यूक्लीयर टेस्ट हुआ था तो भारत पर प्रतिबंध जैसी कार्रवाई तक की गई थी।