बचपन में हम सभी ने राम और अहिल्या की कहानी सुनी थी। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के स्पर्श मात्र से ही अहिल्या का उद्धार हो गया और वो दोबारा शरीर के साथ प्रकट हुई।
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बचपन में हमें यह कहानी भले ही समझ में न आती हो पर आज इस कहानी के सही मयाने समझ में आने लगे हैं। इस संसार में अगर किसी व्यक्ति का किसी दूसरे के साथ आत्मीय नाता होता है तो वह है सिर्फ मां और बच्चे का रिश्ता। जिसे किसी शब्दों में बांध पाना बेहद ही मुश्किल है। बीते दिनों बीजिंग में एक ऐसी ही घटना सामने आई, जिसमें मां की ममता के आगे बेटे की लाइलाज बीमारी ने भी घुटने टेक दिए।
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आज के युग में लोगों के कष्टों का उद्धार करने के लिए भले ही भगवान राम धरती पर न आएं, परन्तु राम के रूप में ही मां आज हर बालक के साथ उसे हर मुसिबत से बचाने के लिए आगे खड़ी रहती है। मां की ममता की एक बार फिर से जीत हुई है। बीते दिनों बीजिंग के हुबई प्रांत में एक ऐसा ही वाकया सामने आया। ग्रेजुएशन सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहे यू पिंजिया के दिमाग में रक्तस्त्राव हुआ और अचानक वो कोमा में चला गया। युवक यू पिंजिया करीब छह महीनों से कोमा में था। उसके इलाज में लगे अस्पताल के डॉक्टर भी अपनी पूरी कोशिश करके हार चुके थे, लेकिन उसकी मां ने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश लगातार करती रही। परिवार वालों ने पिंजिया को तीन अस्पतालों के डॉक्टरों को दिखाया। जिन्होंने एक्यूपंक्चर और ऑक्सीजन चैंबर से उसका इलाज भी किया, लेकिन युवक कोमा से बाहर नहीं आ सका। इसके अलावा युवक के करीब पांच ऑपरेशन भी हुए, लेकिन उससे भी सेहत में किसी प्रकार का कोई सुधार नहीं हुआ। ऐसे में इलाज करने वाले सभी डॉक्टर उसके ठीक होने की उम्मीद छोड़ चुके थे। सभी डॉक्टरों की नाउम्मीदी के बाद भी युवक की मां हुओ लिंग को अपनी ममता पर पूरा भरोसा था। वह हर रोज अस्पताल अपने बेटे से मिलने जाती और वहां उसके साथ बैठकर घंटों बातें करती। ऐसे में यू पिंजिया में धीरे धीरे बदलाव आने लगा। एक दिन वो अपनी मां की बातें सुनता-सुनता आंखें खोलकर उठ बैठा।
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बस क्या था, मां की खुशी का ठिकाना ना था। अपने जिस बेटे को उसने बहुत ही नाजों से पाला था वो अब ठीक होने के लिए उठ खड़ा था। बेटे को कोमा से बाहर आते देखकर मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। मां ने तुरंत डॉक्टरों को बुलाया। डॉक्टरों ने भी मां के इस प्रयास के लिए उनकी सरहाना की। सही कहा जाता है कि अगर किसी के पास मां का प्यार है तो उसे किसी और चीज को मांगने की जरूरत नहीं है।