जैसा कि हम सब लोग लानते हैं कि भारत अलग-अलग धर्म, मजहब और संस्कृतियों का देश है यानि भारत की संस्कृति एक मिश्रित संस्कृति है। भारत के संविधान ने जहां सभी प्रकार की संस्कृतियों का समान अधिकार दिया है, वहीं सब धर्मों को भाईचारे का सन्देश भी दिया है। यही कारण है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। इस देश में सभी की धार्मिक भावनाओं को सम्मान और समान अधिकार मिलता है। इसलिए यह देश गंगा-जमुनी तहजीब का देश कहलाता है। इसी गंगा-जमुनी तहजीब का सन्देश एक मदरसा भी दे रहा है, जहां सुबह की प्रार्थना के दौरान “गायत्री मंत्र” की ध्वनि सुनाई देती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं ऐसे मदरसे की जहां सुबह की प्रार्थना के दौरान गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह मदरसा मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में है।
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मंदसौर जिले के 78 मदरसे ऐसे हैं जहां हिंदू धर्म के साथ ही इस्लामी दीनियात की पढ़ाई साथ-साथ हो रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में एक नहीं ऐसी अनेक शबनम और आदिल हैं जो मदरसे में हिंदू धर्म की शिक्षा लेने में भी रुचि दिखा रहे हैं। उन्हें इस्लामी दीनियात के साथ हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों, गीता सार और गायत्री मंत्र की शिक्षा भी दी जा रही है। तेरह साल की जैनब जब सोलह संस्कारों को एक सांस में सुनाती है तो सुनने वाला हतप्रभ रह जाता है। मंदसौर में 17 साल पहले पांच मुसलमान और दो हिंदू महिलाओं ने निदा महिला मंडल (एनएमएम) बनाकर मदरसों से हिंदुत्व और इस्लाम की शिक्षा देना शुरू किया था।
उनका कहना है कि “हम गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। कई हिंदू गरीब परिवार अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन जब हमने धार्मिक शिक्षा को लेकर उनकी चिंताओं को देखा तो मदरसों का पुराना पैटर्न लागू किया। जो काफ़ी सस्ता था और जिसने राजा राममोहन राय, मुंशी प्रेमचंद और भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे नामचीन शख्स दिए।
निदा महिला मंडल 128 मदरसों को संचालित करता है और इसका मुख्यालय मदरसा फिरदौस है। गुरुकुल विद्यापीठ, नाकोडा, ज्ञान सागर, संत रविदास, एंजिल और जैन वर्धमान सरीखे नाम वाले 128 मदरसों में से 78 मदरसों में मुस्लिम छात्रों के साथ हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं। साढ़े 13 लाख की आबादी वाले मंदसौर ज़िले में लगभग 250 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। इनमें दोनों धर्मों के लगभग 15 हज़ार बच्चे (एनएमएम के 128 मदरसों के 12 हज़ार बच्चों सहित) पढ़ते हैं।
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ख़ास बात यह है कि पन्द्रह हज़ार बच्चों में से 55 फ़ीसदी हिंदू हैं। लगभग 20 मदरसों में स्मार्ट क्लासेज प्रारंभ की गई है और पहली से चौथी तक अंग्रेज़ी माध्यम भी शुरू किया गया है। इस तरह की पुस्तक पढ़ाने वाला यह संभवत: प्रदेश का पहला शहर है।
यहां ये आंकड़े भी गौर करने लायक हैं कि इन 128 मदरसों में 850 अध्यापक हैं। जिनमें से 630 हिंदू हैं। निदा महिला मंडल के अध्य्क्ष तलत कुरैशी का कहना है कि मदरसे में पढ़ने वाले सभी बच्चों को इस्लाम और हिन्दू धर्म की मानवीय शिक्षाओं को साथ साथ ही दिया जाता है ताकि दोनों प्रकार के बच्चों में दीन के साथ सौहार्द और भाईचारे की भावना भी बढ़े।
इस प्रकार के शिक्षा स्थल जहां लोगों में आपसी भाईचारे का सन्देश दे रहे हैं, वहीं भारत सरकार को भी चाहिए की वह ऐसे विद्यालयों को अनुदान देकर समाज में आगे लाए ताकि समाज में समानता और भाईचारे को बल मिले।