13 साल पुराने हिट एंड रन केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को सलमान खान को बरी कर दिया और इसी के साथ खत्म हो गया 13 साल पुराना केस। जिसमें उस गरीब अब्दुल्ला को मिला अंधेरा और सलमान को कोर्ट ने दिया खुशियों भरा उपहार। सलमान के बरी होने की खुशी में उनसे मिलने बड़े-बड़े सेलिब्रिटी आ रहे हैं और दे रहे हैं उन्हें ढेरों बधाई… पर मानने वाली बात तो यह है कि यदि कोर्ट को सलमान को बरी ही करना था तो 13 साल तक यह केस चलाया ही क्यों गया ? कानून और पुलिस ने किस भरोसे से उन गरीबों के साथ इंसाफ किया। इंसाफ तो सलमान खान के साथ ही हुआ, उस गरीब को मिली सड़क पर सोने की सजा।
वह रात उन मजदूरों के लिए एक काली रात थी जब वो लोग दिनभर की मेहनत के बाद अपनी थकान मिटाने के लिए बेकरी के बाहर बेसुध नींद में सो रहे थे। उन्हें क्या मालूम था कि सड़क से लेकर सड़क के किनारे तक भी रईस लोग अपनी गाड़ी को बेखौफ चलाते हैं। रात के अंधेरे में सरसराती गाड़ी के नीचे दबी चार गरीब लोगों की जिंदगियां, जिसमें एक नुरुल्लाह शरीफ नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि चार गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
Image Source: http://images.indianexpress.com/
उन्हीं में से एक अब्दुल्ला गोंडा जिले के अशरफखेड़ा गांव में रहता है। वह मुंबई में मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट भरता था। 28 सितंबर 2002 की रात जब वो अपने साथियों के साथ सो रहा था तभी सलमान की कार अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी के बाहर उनके पैरों पर चढ़ गई थी। और बना दिया इस हादसे से उन्हें जिंदगी भर के लिए अपाहिज। वह आज दर-दर की ठोकर खाकर किसी तरह अपना और अपने बच्चों का गुजर बसर कर रहा है।
जब इस केस का फैसला सुनाया जा रहा था तब सबकी निगाहें न्याय की उस मूर्ति पर टिकी थी जिससे उन सब पीड़ित गरीबों को न्याय की उम्मीद थी। पर फैसला आते ही जब उन लोगों ने सलमान के बरी होने के बारे में सुना तो वे समझ गये कि आज फिर एक अमीर के हाथों गरीब मारा गया। उस हादसे के शिकार हुए नुरुल्लाह शरीफ के बेटे का कहना है कि मैं सलमान खान को माफी देता हूं, लेकिन यह जानना चाहता हूं कि आखिर मेरे पिता को किसने मारा?
इस केस से जुड़े कई सवाल अभी बाकी हैं। इनमें से एक अनसुलझा पहलू जुड़ा है उस पुलिस कॉस्टेबल रवींद्र से। वह सलमान के खिलाफ बयान देने वाला एक मात्र ऐसा गवाह था जो उस समय सलमान खान के साथ गाड़ी में बैठा था। रवींद्र की मौत रहस्यमय परिस्थितियों में 2007 में सेवरी म्युनिसिपल अस्पताल में हुई।