आजकल कोई भी जश्न चाहे वह शादी विवाह का हो या जन्मदिन या किसी अन्य आयोजन से जुड़ा बिना ड्रिंक के वह अधूरा माना जाता है। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इस ड्रिंक पार्टी का जमकर मजा उठाने लगी हैं। वैसे तो मार्केट में शराब के कई तरह के ब्रैंड मौजूद हैं, लेकिन किसी जश्न में सामान्य रूप से पटियाला पैग की ही चर्चा होती है। जश्न की धूम में हर किसी की जुबान पर पटियाला पैग का नाम रहता है। आपने खुद भी यह नाम कई बार सुना होगा, पर क्या कभी यह सोचा है कि आखिर इसे इस नाम से क्यों पुकारा जाता है। चलिए हम बताते हैं आपको इस पटियाला पैग की पूरी कहानी।
पैग की पूरी कहानी-
पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने सन् 1920 में पटियाला पैग नाम की शुरूआत की थी। आपको बता दें कि उस समय ब्रिटिश एकादश के साथ हुए एक क्रिकेट मुकाबले में महाराजा भूपिंदर सिंह ने अंग्रेजों को जमकर छकाया था और इसी खुशी में आयोजित पार्टी में ‘पटियाला पैग’ का जन्म हुआ।
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सन् 1920 में अंबाला में यह मैच हुआ था। यह मैच अंबाला छावनी में आयोजित था। उस वक्त डगलस एकादश के खिलाफ खेलने के दौरान महाराजा भूपिंदर सिंह ने 242 रनों की बेहतरीन पारी खेली। अपनी इस पारी में महाराजा ने 16 छक्के और 14 चौके लगाए। मैच की जीत की खुशी में खेल के आयोजन स्थल पर ही दोनों टीमों के लिए बेहतरीन भोज का आयोजन किया गया था, जिसमें पटियाला पैग का आनंद लिया गया। ऐसा बताते हैं कि अपनी बेहतरीन पारी से बेहद खुश महाराजा ने खुद से ही गिलासों में व्हिस्की भर कर पार्टी की शुरूआत की थी।
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जब महाराजा ने कर्नल डगलस से चीयर्स किया तो उन्होंने उत्सुकता में महाराजा से उस पैग के बारे में जानकारी मांगी। जिस पर जवाब देते हुए महाराजा भूपिंदर सिंह ने हंसते जवाब दिया कि ‘आप पटियाला में मेरे मेहमान हैं। टोस्ट के साथ पटियाला पैग से कम कुछ भी नहीं चलेगा।’ इसके बाद दोनों ने खुशनुमा माहौल और जश्न के बीच अपना-अपना गिलास खाली कर दिया। तभी से किसी जश्न में मेहमानों को पटियाला पैग दिये जाने के रिवाज के साथ ही इस नाम की शुरूआत हुई।