हिन्दू लोगों के मंदिरों में शिव मंदिर की भी अपनी एक अलग महत्ता है। आपको लगभग हर गांव या कस्बे में कोई न कोई शिव मंदिर जरूर मिल जायेगा, दूसरी और देखें तो अमरनाथ की यात्रा में भी हिन्दू लोग शिवलिंग के दर्शन करने के लिए जाते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसे शिवलिंग के बारे में जिसके दर्शन करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम साथ में जाते हैं। आइये जानते हैं इस विशेष शिवलिंग के बारे में।
गोरखपुर के पास में स्थित है सरया गांव और यह गांव अपने शिव मंदिर के कारण काफी चर्चा में है। कहा जाता है कि यह शिव मंदिर 100 से भी ज्यादा साल पुराना है, इस शिव मंदिर से जुड़ी कहानी काफी रोचक है। असल में गांव वाले लोगों का कहना है कि मंदिर का यह शिवलिंग स्वयंभू है यानी यह स्वयं प्रकट हुआ था, इसलिए ही इस इस शिवलिंग को कभी दीवारों में बंद नहीं किया गया है, वर्तमान में यह शिवलिंग खुले आकाश के नीचे ही स्थित है और रोचक बात यह है कि इस शिवलिंग के साथ में मुस्लिम लोगों की भी श्रद्धा जुड़ी हुई है।
यह है शिवलिंग के प्रति मुस्लिम आस्था का राज –
कहा जाता है कि महमूद गजनवी जब भारत में आया तो उसका सबसे पहले निशाना यहां के मंदिर थे, जब वह कई मंदिरों को ध्वस्त करके इस शिवलिंग के पास पंहुचा तो उसने इसको भी उखाड़ने का आदेश दिया, पर उसके बहुत से सैनिक मिलकर भी इस शिवलिंग को नहीं उखाड़ पाए, इसके बाद में उसने कई हाथियों को इस शिवलिंग को उखाड़ने के कार्य में लगाया पर वह भी फेल रहे। अंत में हार कर उसने इस शिवलिंग के ऊपर में ”लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह” लिखवा दिया, असल में उसका मनना था कि ऐसा करने से हिन्दू इस शिवलिंग की पूजा नहीं करेंगे पर फिर भी हिन्दू लोगों की श्रद्धा इस शिवलिंग से कम नहीं हुई उल्टे मुस्लिम लोग भी इस शिवलिंग के दर्शन के लिए आने लगें।
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इस शिवलिंग के पास में एक तलाब भी स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां पर स्नान करने से शरीर के सारे चर्म रोग दूर हो जाते हैं। देखा जाए तो यह एक ऐसा इकलौता शिवलिंग है जिसके ऊपर कलमा लिखा गया है और हिन्दू तथा मुस्लिम लोग इसके दर्शन करने के लिए आते हैं। खैर अपना देश पहले ही सर्वधर्म सद्भाव के संदेश को देता आया, जिसके कारण यहां पर सैदेव एकता और समता का राज रहा है, यह शिवलिंग भी इसी समता और एकता के रास्ते है एक मील का पत्थर है।