भूत प्रेतों के किस्से कहानी हम बचपन से ही सुनते आ रहें हैं, जिस पर कुछ लोग भरोसा करते है तो कुछ लोग अंधविश्वास मान कर इस बात को नजरअंदाज कर देते है। पर क्या आप जानते है कि जब हमारे शरीर में आत्मा का वास होता है तो फिर जाहिर है कि यही आत्मा प्रेतात्मा में भी बदल सकती है, पर प्रेत योनि में परिवर्तन किस प्रकार से होता है और किस तरह से भूत प्रेतो का जन्म होता है, आज हम आपको इसके बारे में बता रहें हैं। हर कोई भूतो-प्रेतो के बारे में यकीन नहीं करता है, पर ये सभी जानना चाहते है ये भूत होते क्यों है और ये कहां से आते है?
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हमारे शरीर में आत्मा का वास होता है जो तीन रूपों में बदलती है। जिनमे पहली होती है प्रेतआत्मा, फिर सूक्ष्मआत्मा और आत्मा। ये तीनो का मिश्रण हर इंसानो के शरीर में हमेसा रहता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में ये आत्मा प्रवेश करती है तो वह जीवात्मा हो जाती है और जैसे जैसे मनुष्य की चाहत, कामना से भरी इच्छाएं और वासनाएं बढ़ने लगती है तो शरीर की जीवात्मा प्रेतात्मा में बदल जाती है और इसी तरह की इच्छाओं को लेकर जब मनुष्य अपनी शरीर का त्याग करता है। तो उसकी आत्माए अपने लक्षय को पाने के लिए अपना रूप बदलने लगती है। जो भुत और प्रेत वाली योनि कहा जाता है।
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व्यक्ति के मरने के बाद का सबसे शरुआती पद होता है, भूत की योनि इसमें व्यक्ति अपने मन में किसी इच्छा को लेकर मरता है जो कभी पूरी नहीं हो पाती। जिससे शरीर का नाश हो जाने के बाद भी वो प्रेत रूपी योनि पाकर भी अपनी इच्छा को पूरा करने की कोशिश करता है। जब कोई व्यक्ति की आकस्मिक मौत होती है या फिर समय से पहले ही वो देह को त्याग देता है, जैसे- हत्या आत्महत्या, एक्सीडेंट, या फिर भूख या प्यास से मौत का हो जाना, इस तरह से जो लोग अपनी जान को गंवाते है तो वो लोग ही भूत की योनि में प्रवेश करके भूत बनते है। वहीं जिस मनुष्य के अंदर काफी बुराई होती है, तो उसकी बुरी आत्मा बुरे इंसान को गतल काम करने को उकसाती है। जो अपने द्वारा नहीं बल्कि किसी व्यक्ति के शरीर पर जाकर उसके माध्यम से गलत काम करने को मजबूर करती है। इसलिए इन सभी बुरी आत्माओं से बचने के लिए मनुष्य को ईश्वरीय शक्ति को पाना काफी आवश्यक होता है और ये जब मिल सकती है जब आप पूरी निष्ठा के साथ ईश्वर का पाठ करें और अपने कर्म को सही बनाए।