इस ऑपरेशन थिएटर में बजते हैं रफी और किशोर के गाने, जानें वजह

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ऑपरेशन थिएटर एक ऐसी जगह होती है जहां पर मरीज जाने से कतराते है, तेज लाइट की रोशनी के साथ कई तरह के मशीनी टूल्स दिल की धड़कन को और अधिक बढ़ा देते है, पर यदि इन्हीं खतरनाक औजारों के बीच किसी जगह से संगीत की धुन सुनने को मिल जाए तो इसके बारे में आप क्या सोच सकते है। ये बात सुनकर भले ही आपको आश्चर्य लगे लेकिन मरीजों की हालत को सुधारने में यह नया फॉर्मूला काफी अच्छा परिणाम दे रहा है।

रायपुर के एक सर्जन के द्वारा शुरू की गई यह पद्धति आज एक कामयाब थेरेपी के रूप में उभर कर सामने आई है। बड़े-बड़े सर्जन भी इस थेरेपी को देख आश्चर्य कर रहें है। 60 से 70वें दशक के सदाबहार गानों में मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के गानों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बीते 20 सालों से चालू की गई इस पद्धति को म्यूजिक थैरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इस म्यूजिक थैरेपी को ऑपरेशन थिएटर मे किसी मरीज को अंदर ले जाने से लेकर बाहर लाने तक उपयोग में लाया जाता है। इस दौरान ओ. टी. में लगातार सभी गानों की धुन एक के बाद एक बजती रहती है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि इस म्यूजिक थैरेपी के शुरू होने से सर्जरी के दौरान मरीजों को होने वाला डर दूर किया जाता है। इससे उनके मन को शांति मिलती है। संगीत की धुन को सुनकर मरीज का मन एकाग्र हो जाता है, जिससे उनके अंदर ऑपरेशन के प्रति डर दूर हो जाता है।

मरीजों ने बताया कि यह पद्धति हमारे शरीर पर काफी अच्छा प्रभाव डालती है। इसके चलते रहने से उन्हें किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं है। मनोविशेषज्ञ का मानना है कि म्यूजिक थैरेपी तनाव, डर, और अकेलेपन से मरीजों को उबारने का सबसे बड़ा एक माध्यम है।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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