आपने वैसे तो कई शादियां देखी ही होंगी, पर क्या आप जानते हैं कि अपने देश में मेंढक-मेंढकी की शादी भी होती है। यदि नहीं, तो आज हम आपको इस शादी के बारे में ही जानकारी दे रहें हैं। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न-भिन्न परंपराएं निभाई जाती हैं।
अपने देश के हर हिस्से में अलग-अलग विश्वास और मान्यताएं हैं। आज हम आपको अपने ही देश के उत्तर-पूर्व के क्षेत्र असम की एक दिलचस्प परंपरा के बारे में बता रहें हैं। असम में एक ऐसी परंपरा को निभाया जाता है जो प्रकृति से जुड़ी है। आइए जानते हैं इस परंपरा के बारे में।
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आपको हम बता दें कि असम के लोग मेंढक-मेंढकी का विवाह कराते हैं। असल में असम के लोगों की मान्यता है कि इस प्रकार के विवाह से प्रकृति खुश होती है तथा इससे अच्छी बरसात होती है। माना जाता है कि जब किसान बरसात के देवता इंद्र से बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं तब इंद्र कहते हैं कि जब तक तुम्हारे स्थान के मेंढक बरसात को नहीं कहेंगे, उस समय तक बरसात नहीं कराई जा सकती हैं, इसलिए ही असम के लोग मेंढक-मेंढकी का विवाह कराते हैं।
इस प्रकार के मेंढक-मेंढकी के विवाह को ‘बेखुली बियाह’ कहा जाता है। आपको बता दें कि असम की भाषा में “बेखुली” का मतलब मेंढक होता है तथा “बियाह” का मतलब विवाह होता है। माना जाता है कि बरसात के समय में ही मेंढकों का मिलन होता है और उसके बाद में वे प्रसन्न होकर भगवान इंद्र से बरसात के लिए कहते हैं और बारिश होती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस विवाह में शादी के सभी रीति-रिवाजों को पूरा किया जाता है। शादी को करने के बाद में मेंढक-मेंढकी के नव विवाहित जोड़े को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है और इस समय महिलाएं मंगल गीत गाती हैं। इस मेंढक-मेंढकी की शादी में बच्चे, बूढ़े तथा जवान सभी लोग शामिल होते हैं तथा इस प्रकार की शादी का खर्चा भी सभी ग्रामीण लोग मिलकर पूरा करते हैं।