जेसीबी की खुदाई के मीम देख कर अभी खुमार उतरा नहीं होगा वैसे आपलोगों का तो इसी क्रम में आईये आज बताते हैं जेसीबी के बारे में एक मज़ेदार बात कि आखिर इसका रंग पीला ही क्यों होता है?
हर बड़े खुदाई के काम के लिये इसका इस्तेमाल दुनिया में लगभग हर जगह किया जाता है। आमतौर पर जेसीबी का काम खुदाई करना ही होता है। लेकिन आप १०० लोगों से पूछें तो ९५ नहीं तो ९० तो कहेंगे ही कि इस मशीन का रंग पीला ही क्यों होता है कोई और रंग क्यों नहीं!
जेसीबी के रंग के बारे में जानने से पहले हम आपको इस मशीन की कुछ अनोखी बातों से भी अवगत कराते हैं। दरअसल, जेसीबी मशीन को बनाने वाली कंपनी ब्रिटेन की है जिसका मुख्यालय इंग्लैंड के स्टैफर्डशायर शहर में है। इसके प्लांट दुनिया के चार महाद्वीपों में हैं।
जेसीबी दुनिया की पहली ऐसी मशीन है जो बिना किसी नाम के साल 1945 में लॉन्च हुई थी। इसको बनाने वाले आविष्कारक ने कई नाम सोचे, लेकिन कोई अच्छा सा नाम न मिलने के कारण इसका नाम मशीन के आविष्कारक ‘जोसेफ सायरिल बमफोर्ड’ के नाम पर ही रख दिया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जेसीबी पहली ऐसी निजी ब्रिटिश कंपनी थी, जिसने भारत में अपनी फैक्ट्री लगाई थी। आज के समय में जेसीबी मशीन का पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा निर्यात भारत में ही किया जाता है।
साल 1945 में जोसेफ सायरिल बमफोर्ड ने सबसे पहली मशीन एक टिप्पिंग ट्रेलर (tipping trailer-सामान ढोने वाला ट्रेलर) बनायी थी, जो उस वक्त बाजार में 45 पौंड यानी आज के हिसाब से करीब 4000 रुपये में बिकी थी।
दुनिया का पहला और सबसे तेज रफ्तार ट्रैक्टर ‘फास्ट्रैक’ जेसीबी कंपनी ने ही साल 1991 में बनाया थी। इस ट्रैक्टर की अधिकतम रफ्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इस ट्रैक्टर को ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि साल 1948 में जेसीबी कंपनी में महज छह लोग काम करते थे, लेकिन आज के समय में दुनियाभर में लगभग 11 हजार कर्मचारी इस कंपनी में काम करते हैं।
शुरुआत में जेसीबी मशीनें सफेद और लाल रंग की बनती थीं लेकिन बाद में इनका रंग पीला कर दिया गया। दरअसल, इसके पीछे तर्क ये है कि इस रंग के कारण जेसीबी खुदाई वाली जगह पर आसानी से दिख जाती है, चाहे दिन हो या रात। इससे लोगों को आसानी से पता चल जाता है कि आगे खुदाई का काम चल रहा है।