पाकिस्तान की किलर जेल से एक और भारतीय कैदी की डेड बॉडी भारत लाई गई। किरपाल सिंह नाम का शख्स जीते जी अपनी सरज़मी को माथे नहीं लगा पाया, पर मरने के बाद यह शायद कुछ हद तक उसकी खुशकिस्मती रही कि उसे अपने वतन में दो गज ज़मीन नसीब हो सकी है। वरना पाकिस्तान में कितने ही भारतीय कैदी घुट-घुट कर दम तोड़ देते हैं या उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है और घर वालों को खबर तक नहीं होती। परिजन ताउम्र उनके इंतज़ार में तिल-तिल कर ज़िंदगी गुजारते रह जाते हैं लेकिन वो फिर लौट कर नहीं आ पाते। यह तो पाकिस्तान में आम बात हो गई है। वहीं इस बार किरपाल का शव भेजने से पहले उसके शरीर से दिल व गुर्दे निकाल कर पाकिस्तान ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी।
पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में 25 साल से कैद किरपाल सिंह की संदेहास्पद परिस्थिति में 11 अप्रैल को मौत हो गई थी। किरपाल सिंह की डेड बॉडी भारत आने के बाद उनका अंतिम संस्कार पंजाब के मुस्तफाबाद में उनके भतीजे अश्विनी ने कर दिया है। इससे पहले मृतक किरपाल सिंह की बॉडी मंगलवार को वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी अथॉरिटी ने बीएसएफ के हवाले की था। परिवार वालों का आरोप है कि डेडबॉडी को सौंपने से पहले लाहौर के अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के वक्त किरपाल का ज़िगर और लिवर निकाल लिया गया था। बता दें कि ये अंग तभी निकाले जाते हैं जब मौत जहर आदि की वजह से हुई हो।
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चिट्ठी ने खोले कई राज़-
डेडबॉडी के साथ आए सामान में कई चिट्ठियां भी मिली हैं, जिनमें किरपाल सिंह ने अपनी बेगुनाही का हवाला दे कर वकील के जरिए गुहार लगाई थी। इसके अलावा जेल में किसी अशफाक नाम के बंदी द्वारा धमकी देने की बात भी लिखी है। जो लगातार जेल में ही हत्या कर उसे दफनाने की धमकी देता था। ये चिट्ठी किरपाल सिंह के सामान से मिली है जिसे किरपाल ने लिख तो लिया था लेकिन अपने घर भेज नहीं पाया। किरपाल ने जेल की परेशानियों का भी ज़िक्र किया है अपनी चिट्ठी में। एक दूसरी चिट्ठी में किरपाल सिंह ने लिखा है कि अशफाक तो धमकाता है लेकिन ज़फर नाम के शख्श की तारीफ की है और इस बुरे वक्त में उसकी हौसलाफज़ाई से ढांढस बंधाने की बात कही है।
पाकिस्तान पर लगे गंभीर आरोप-
अमृतसर में किरपाल सिंह के भतीजे ने मृतक के शरीर और चेहरे पर चोट के निशान का हवाला देकर अपने देश में दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की, जिस पर किरपाल सिंह का दोबारा पॉस्टमॉर्टम किया गया। डॉक्टरों की टीम को मृतक के शरीर पर कोई भी बाहरी या भीतरी चोट के निशान नहीं मिले। इसके अलावा डॉक्टरों ने मौत पर किसी भी साज़िश की आशंका से इनकार भी किया है।
दूसरी ओर पाकिस्तान ने किरपाल की मौत को साधारण मौत बताया है। पाकिस्तान की मानें तो किरपाल ने सीने में दर्द की शिकायत की जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी मौत हो गई।
किरपाल की डेडबॉडी के दावेदारों में किरपाल की पूर्व पत्नी कलानौर की परमजीत कौर भी सामने आईं। आपको बता दें कि किरपाल के लापता होने के बाद परमजीत कौर ने दूसरी शादी कर ली थी।
दास्तान-ए-किरपाल-
सरहदी इलाके गुरदासपुर के मुस्तफाबाद सैंदा गांव के रहने वाले किरपाल सिंह सन् 1991 में एकाएक अपने घर से लापता हो गए।उसके बाद फिर लौट कर वो कभी नहीं आए। कई साल बीतने के बाद जब घर वाले उम्मीद छोड़ बैठे थे तभी किरपाल की चिट्ठी आई जिससे खुलासा हुआ कि वो पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। किरपाल के भतीजे अश्विनी की मानें तो किरपाल सिंह ने 13 साल तक फौज में भी अपनी सेवाएं दी थीं।
किरपाल सिंह को सन् 1991 में पाकिस्तान के फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाके का मुख्य आरोपी बनाया गया था। इस जुर्म के लिए 20 मई 2002 को पाकिस्तान की आदालत ने रिकॉर्ड पांच बार उन्हें मौत की सजा देने का हुक्म दिया था और 60 साल की कैद की सज़ा भी सुनाई थी। इसके अलावा 27 लाख रुपए का जुर्माना किया गया था।