आज से ढाई दशक पहले जिस बाबरी मस्जिद के कारण देश के लोगों में वैचारिक फूट पड़ गई थी शायद अब वह धीरे-धीरे भरनी शुरू हो गई है, बीते समय को वापस तो नहीं लाया जा सकता है परंतु उसको वर्तमान में सुधार कर अपने भविष्य को जरूर सही किया जा सकता है और बुद्धिमानी भी इसी में ही है। जिस मस्जिद को अब तक अवैध घोषित किया जा रहा था, उसका निर्माण कराने की जिम्मेदारी “हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट” ने अपने कंधो पर ले ली है।
Image Source:
इससे जहां एक और हिन्दू-मुस्लिम लोगों की आपसी दूरियां कम होगी वहीं दूसरी ओर 24 साल पुराने बाबरी मसले के हल करने के लिए यह एक अच्छा कदम साबित होगा। वर्तमान में हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट ने जर्जर हो चुकी “आलमगिरी मस्जिद” को बनवाने की जिमेदारी लेने के साथ यहां पर नमाज अदा करने की भी अनुमति दे दी है।
Image Source:
असल बात यह हैं कि मस्जिद वाला हिस्सा भी “हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट” के ही हिस्से में आता है, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार “हनुमानगढ़ी मंदिर” परिसर में स्थित आलमगिरी मस्जिद की स्थिति जर्जर हो चुकी है, ऐसे में अयोध्या नगर पालिका ने नोटिस लगा कर, वहां लोगों को जाने से मना कर दिया। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मुस्लिम समाज के लोग हनुमानगढ़ी ट्रस्ट से मिले और अपनी समस्या बताई। समस्याओं को समझते हुए हनुमानगढ़ी ट्रस्ट ने जर्जर हो चुके मस्जिद वाले स्थान पर फिर से मस्जिद बनाने का फैसला किया है, साथ ही साथ ट्रस्ट उस खर्च को वहन भी करेगा।”
Image Source:
“हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट” द्वारा लिया गया यह फैसला दो संप्रदायों के बीच के असल विश्वास और प्रेम का प्रतीक है, यह अलग बात है कि राजनीति करने वाले लोग इस मुद्दे पर आज भी राजनीति करने से कभी नहीं चूकते पर आम लोगों में एक दूसरे के प्रति क्या भावनाएं हैं यह हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट के इस फैसले से साबित हो गया है। जहां तक बात किसी भी धर्म स्थल की है तो ये मात्र उपासना गृह हैं पर असल मजहब मानवता ही है, जो यह वर्तमान में साबित हो चुका है।