आज हम आपको बता रहें हैं गोल्डन बाबा के बारे में, यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो इनके बारे में आपने काफी सुना ही होगा हालांकि दिल्ली के बाहर देश-विदेश में बाबा के बहुत से फॉलोअर हैं। इनका नाम यानी गोल्डन बाबा सुनकर अक्सर लोग चकित हो जाते हैं और इस नाम पर आश्चर्य करने लगते हैं पर हम आपको बता दें कि यह नाम बाबा के सन्यास के बाद उनके फॉलोअर लोगों ने खुद ही दिया है। असल में बाबा अपने शरीर पर कई प्रकार की छोटी-बड़ी धार्मिक मालाएं और लाकेट आदि पहने रहते हैं, जो की सोने की बनी होती है तो इतना सोना पहनने के कारण ही लोगों ने इनको “गोल्डन बाबा” नाम का संबोधन दे दिया।
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जहां तक बाबा की जीवन शैली की बात है तो बता दें कि बाबा किसी प्रकार के ऊंच-नीच और भेद-भाव को नहीं मानते हैं, वे सभी लोगों को सामान अधिकार देते हैं और सभी लोगों को समानता से रहने का उपदेश भी देते हैं। गोल्डन बाबा जीवन के प्रारम्भ से ही धार्मिक कार्यो से जुड़े रहें हैं, बाबा की प्रवर्ति शुरू से ही आध्यात्म में रही, जीवन के एक छोर पर अचानक बाबा का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उनका रुख बदल गया, तब बाबा ने सन्यास ले लिया और खुलकर समाज सेवा में जुट गए।
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बाबा धार्मिक यात्राओं में भी गहरी रुचि रखते हैं इसलिए वे कुंभ मेला, कांवड़ यात्रा व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों और तीर्थों की यात्रा भी करते रहते हैं। इस बार सावन में बाबा कांवड़ यात्रा पर गए थे और जब बाबा हाइवे से यात्रा पर गुजर रहें थे तो हजारों लोगों ने उनको देखने के लिए भीड़ लगा ली, जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस बार की कांवड़ यात्रा पर बाबा 13 किलो सोना पहने हुए थे।
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ऐसा पहली बार नहीं है कि बाबा सोना पहन कर यात्रा कर रहें थे असल में बाबा सामान्य रूप से इतना सोना अपने बदन पर पहने ही रहते हैं। इस बार की कांवड़ यात्रा में बाबा के साथ में 30 सुरक्षाकर्मी तथा लगभग 350 अन्य कांवड़ यात्री भी थे। बाबा के लिए कई जगह पुलिस सिक्योरिटी पर लगी थी। बाबा कहते है कि जहां तक बात कांवड़ की है तो मैं आखरी सांस तक कांवड़ लाऊंगा, जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस बार बाबा की यह 24वीं कांवड़ यात्रा थी।