इलाहाबाद का संगम तट जहां पर लोग अपने पाप धोने के लिए आते है। इस स्थान पर खुद मां गंगा प्रकट हो करती है जलाभिषेक जी हां, ये बात बिल्कुल सच है इस नजारे को ही देखने इस जगह पर लाखों की संख्या में लोग पहुंचते है और अपने को धन्य करते है। गंगा नदी के तट पर स्थित त्रिवेणी के पास लेटे हुए हनुमान जी का एक मंदिर है। जिसे प्रयाग के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है। भगवान हनुमान जी की यह मूर्ति कई वर्ष पुरानी है जिसके बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों नें हनुमान की इस लेटी प्रतिमा को कई बार खड़ा करने की कोशिश की पर वह अपनी जगह से हिलनें के बजाय और अंदर धसती ही चली गई।
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यह चमत्कारिक हनुमान जी की मूर्ति 20 फीट लंबी है और यह अकेली ऐसी मुर्ति है जो लेटे हुई मुद्रा में प्राप्त हुई है। इस लेटी प्रतिमा के पीछे कारण यह बताया जाता है कि जब लंका पर से जीत हासिल करने के बाद सब वापस अयोध्या लौट रहे थे तब माता सीता ने अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को आराम करने के लिए कहा था। तो उन्होंने इसी स्थान पर लेट कर अराम किया था।
गंगा स्वयं करती हैं जलाभिषेक
इसी जगह से जुड़ी सबसे रोचक बात यह है कि सिद्ध हनुमान की मुर्ति का जलाभिषेक खुद मां गंगा आकर करती हैं। माना जाता है कि हनुमान को स्नान कराते वक्त गंगा का जल स्तर तब तक बढ़ा हुआ रहता है जब तक कि गंगा हनुमान जी के चरणों तक न पहुंच जाए। जैसे ही हनुमान जी केचरणों तक जल आता है वैसे ही गंगा का जल स्तर अपने आप कम होने लग जाता है।
इलाहाबाद में यह चमत्कार 1965 से 2003 तक तीन बार हो चुका है। इस साल भी गंगा नदी का जल हनुमान मंदिर में जा चुका है। यहां के लोगों की मान्यता है कि जब-जब गंगा ने लेटे हनुमानजी का चरण जलाभिषेक किया है तब-तब वह साल विपत्ति को हरने वाला शुभकारी साल रहा है।