तिरुपति के लड्डुओं का 300 साल पुराना राज जानकर चकित हो जायेंगे आप

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तिरुमला तिरुपति मंदिर, जो कि विश्व का सबसे अमीर और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। इस मंदिर के प्रसिद्ध लड्डुओं वाले प्रसाद को लेना असंभव तो नहीं पर बेहद मुश्किल है। ऐसा भी नहीं है कि इस मंदिर के लड्डू वाले प्रसाद के लिए आपको अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं बल्कि मंदिर के प्रसाद वाले यह लड्डू पहली बार रियायती दर से मात्र 10 रूपए प्रति लड्डू के हिसाब से 2 लड्डू आपको मिल जाते हैं पर यदि आप फिर से 2 लड्डू लेना चाहते हैं तो आपको दूसरी बार इन लड्डुओं के लिए 25 रूपए प्रति लड्डू के हिसाब से मूल्य चुकाना पड़ेगा, ऐसा मंदिर कमेटी का नियम है।

Sri Venkateswara Swamy Vaari,Tirupati balaji Temple1Image Source:

लड्डू के लिए गुजरना होता है हाईटेक इंतेजाम से –
यदि आप तिरुपति के प्रसाद वाले लड्डू लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यहां पर एक हाईटेक कूपन लेना होता है। जिसको लेने के लिए आपको भरी भीड़ का सामना करना पड़ता है और इसके बाद में आपको लड्डू लेने वाले लोगों की लंबी लाइन में लगना होता है। आपके द्वारा लिए गए हाईटेक कूपन में कई बायोमैट्रिक विवरण आपसे सम्बंधित होते हैं जैसे कि आपके चेहरे की पहचान आदि। इसके बाद में वहां के कायकर्ता सभी टिकटों की वैधता तथा सभी लौटाए पैसो की जांच भी करते हैं, इस प्रक्रिया में भी समय लगता है और इसके बाद ही आपको लड्डू मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

Sri Venkateswara Swamy Vaari,Tirupati balaji Temple2Image Source:

तो यह है मंदिर के प्रसाद लड्डुओं का गुप्त राज –
तिरुपति में जो लड्डू मिलते है उनको किसमिश, बेसन, काजू, चीनी, इलायची आदि अन्य चीजे डाल कर बनाया जाता हैं और आपको जानकार हैरानी होगी कि इस लड्डू को बनाने का फार्मूला भी 300 वर्ष पुराना है और यह तरीका एक बड़ा राज है जो की यहां के खास रसोइये को ही पता होता है। यहां के कुछ गिने हुए खास रसोइयों को इसको बनाने की जिम्मेदारी दी हुई है। ये सभी रसोइये लड्डूओं को मंदिर की गुप्त रसोई में तैयार करते है, जिसको “पोटू” कहा जाता है। मंदिर में इस प्रकार के लगभग 3 लाख लड्डू रोज बनते हैं।

मंदिर कमेटी के पास में मंदिर का ही एक भोजनालय बना हुआ है, कहा जाता है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, यहां पर करीब सवा लाख लोग रोज भोजन करते हैं। मंदिर में दर्शन के बाद में लोग यहां भोजन जरूर करते हैं, माना जाता है दर्शन के बाद में भोजन करने से ही यहां की तीर्थ यात्रा पूरी होती है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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