भारत की पहली पर्वतारोही महिला संतोष यादव ने माउंट एवरेस्ट की उंचाइयों को एक नहीं बल्कि दो बार पार करते हुए दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वह पहली बार मई 1992 और दूसरी बार 1993 में एवरेस्ट की चोटियों को छुकर आने वाली विश्व की पहली महिला हैं।
जन्म और पढ़ाई
विश्व की पहली पर्वतारोही महिला संतोष यादव का जन्म साल 1969 में हरियाणा के एक छोटे से जिले रेवाड़ी में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई जयपुर के टॉप टेन कालेजों में से एक कॉज में की। उनके कॉलेज का नाम महारानी कॉलेज था। अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद संतोष ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी की तरह काम किया। संतोष का बचपन काफी कठिनाइओं के साथ बिता था। संतोष का कहना है कि उन्होंने अपना बचपन एक ऐसे टूटे फूटे झोपड़े में बिताया है, जिसकी दीवारों और फर्श में गोबर लीपा जाता था। इसके अलावा संतोष को पेंटिंग बनाने का भी काफी शौक था।
Image Source :http://amity.edu/
कहां से उमड़ी चोटियों को छुने की चाहत
एक बार जब संतोष उत्तर काशी गई थीं तो वहां पर पहाड़ से चढ़ने और उतरने वाले लोगों की पेंटिंग बनाने लगी। एक बार खुद भी वह ऊंचाईयों पर जा पहुंची। वहां पर उन्होंने प्रकृति का एक ऐसा अद्भुत नजारा देखा कि उनके मन में एक पर्वतारोही बनने का सपना जगने लगा। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक नहीं बल्कि दो बार माउंट एवेरस्ट को छुने में कामयाब रही। उनकी इस मेहनत की बदौलत वह माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ाई करने वाली पहली महिला बनी। उनके साहस के लिए भारत सरकार ने साल 2000 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा था।
Image Source :http://www.tagoreint.com/
हिमालय की चोटी पर पहुंचने के अहसास को संतोष ने दो बार जिया है। संतोष का जन्म ऐसी जगह हुआ था, जहां लड़कियों के पढ़ने लिखने पर खास पाबंदी थी। लेकिन इसके बावजूद भी संतोष ने अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने देश के साथ साथ अपने गांव का नाम भी रोशन किया।