दुनिया में तरह तरह के पेड़ हैं पर यहां जिस पेड़ के बारे में बताया जा रहा हैं वह दुनिया के ख़ात्में के बाद भी रहेगा और यह खास पेड़ लोगों की बीमारियां भी दूर करता हैं। जी हां, आज हम आपको जिस पेड़ के बारे में बता रहें हैं वह अपने आप में अनोखा हैं। माना जाता हैं जब प्रलय आएगा तो सारी दुनिया ख़त्म हो जाएगी पर यह खास पेड़ उस समय भी जीवित रहेगा।
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आपको बता दें कि यह खास पेड़ आचार्य जगदीशचंद्र बोस बोटैनिकल गार्डन, कोलकाता में हैं। यह करीब 250 वर्ष पुराना पेड़ हैं जो कि 14,500 वर्गमीटर में अपनी शाखाएं फैलाये हुए हैं। यह बोटैनिकल गार्डन दुनिया का सबसे पुराना बोटैनिकल गार्डन माना जाता हैं। यह पेड़ एक “बट वृक्ष” हैं। इस वृक्ष के बारे में पौराणिक कथाओं में भी जिक्र हैं। पौराणिक ग्रंथों में यह कहा गया हैं कि जब सारी दुनिया ख़त्म हो जाएगी उस समय भी बट वृक्ष जीवित बचा रहेगा। यही कारण हैं कि इस वृक्ष को प्रलय आने के बाद भी जीवित रहने वाला एकमात्र वृक्ष माना जाता हैं।
पर्यावरण में देता हैं योगदान –
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इस वृक्ष की एक खासियत यह भी हैं कि यह पर्यावरण को बचाने में भी अहम योगदान देता हैं। इस पेड़ की जड़े मिटटी को पकड़े रहती हैं और मृदा अपर्दन को रोकती हैं। इस पेड़ की पत्तियां साफ़ होती हैं और अकाल के समय पशुओं को इसी पेड़ की पत्तियां भोजन के रूप में खिलाई जाती हैं ताकि वे जीवित रह सकें। इसके अलावा यह पेड़ 20 घंटे से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन को देने में समर्थ हैं। इस प्रकार से यह खास पेड़ पर्यावण के लिए भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता हैं।
इससे होता हैं इंसानी बीमारियों का इलाज –
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यह पेड़ लोगों की बहुत सी बीमारियों को दूर कर उनको नया जीवन भी देता हैं। आपको बता दें कि इसके पत्तों के सेवन से व्यक्ति को कफ रोग से मुक्ति मिलती हैं। इस वृक्ष के पत्तों और जटाओं को पीस कर ख़ास लेप बनाया जाता हैं जो कि स्किन डिजीज में फायदेमंद होता हैं साथ ही यह यूटरस की परेशानी को भी खत्मकरता हैं। इस वृक्ष के पत्तों का सेवन करने से ब्लड प्यूरीफाई भी होता हैं। इसकी जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों में उपयोगी होते हैं।