फैक्ट्रियों से निकला गंदा पानी और कचरा न सिर्फ हमारी स्वच्छ नदियों और नहरों को गंदा करता है, बल्कि वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानि पहुंचाता है, पर आज हम आपको एक अच्छी खबर देने जा रहें हैं। बात यह है कि अब इस कचरे और गंदे पानी का उपयोग आप अपनी गाड़ी में भी कर सकते हैं। जी हां, कुछ ही समय में आपकी गाड़ी पेट्रोल या डीजल से नहीं बल्कि फैक्ट्री से निकले गंदे पानी से चल सकेंगी।
जानकारी के लिए आपको यह बता दें कि यह कार्य अब एक प्रोजेक्ट का रूप ले चुका है। इस पर अब IIT-खड़गपुर के वैज्ञानिक कार्य कर रहें हैं तथा गैर परंपरागत ऊर्जा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट में फंडिंग कर रहा है। मंत्रालय की पत्रिका “अक्षय ऊर्जा” में भी इसके बारे में जानकारी दी जा चुकी है। IIT-खड़गपुर के वैज्ञानिक इस गंदे पानी को डिस्टिल करने के बाद इससे उठी भाप से हाइड्रोजन बना रहें हैं, जो की कई कार्यो में काम आ सकेंगी। IIT-खड़गपुर के वैज्ञानिक देवव्रत का कहना है कि इस प्रक्रिया के 2 फायदे हैं- पहला तो यह कि इससे हाइड्रोजन पैदा होगी और दूसरा यह कि इससे खराब पानी का जैविक उपचार कर उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।”
Image Source:
देवव्रत इस शोध का नेतृत्व कर रहें हैं। देवव्रत दास ने इस तरह बनी हाइड्रोजन के बारे में बताया कि “‘इस गैस का इस्तेमाल सीधे फ्यूल सेल में भी किया जा सकता है। इससे 52kwh बिजली पैदा होगी, जिससे कि पूरे गांव की रोशनी का इंतजाम किया जा सकता है।”, दास आगे कहते हैं कि “वाहनों में ईंधन के तौर पर भी हाइड्रोजन काफी मुफीद माना जाता है। सभी प्रमुख ऑटोमोबिल कंपनियां भविष्य में हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कारें बनाने के लिए एक-दूसरे से कड़ा मुकाबला कर रही हैं। 2030 तक दुनिया भर में ऊर्जा की खपत इतनी बढ़ जाएगी कि हमें एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत की जरूरत पड़ेगी। एक ऐसे ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होगी जिससे कि बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा की जा सके। हाइड्रोजन इस लिहाज से भी सबसे सही विकल्प है।
हाइड्रोजन को इसीलिए भविष्य का ईंधन कहा जा रहा है। इसका ऊर्जा घनत्व सबसे ज्यादा 143kJg है।”, एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत में करीब 10 लाख वाहन इसी हाइड्रोजन से संचालित होने वाले ही होंगे।