आप सभी ने डायनासोर को फिल्म जूरासिक पार्क में देखा और जाना होगा। भले ही लोग इस बात से सहमत ना हो, कि इस प्रकार के कोई जानवर हमारे बीच मौजूद रहा था। पर हमारे आस पास मिले साक्ष्य इस बात की ओर इशारा करते है कि इस प्रकार के जानवर हमारे बीच मौजूद थे, पर वो साक्ष्य क्या है जो डायनासोर के होने का आभास कराते है, किस जगह पर उनके होने के प्रमाण देखने को मिलते हैं। आज हम इसके बारे में आपको बताने जा रहें हैं।
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मध्यप्रदेश में बना एक ऐसा पार्क जहां पर पेड़ पौधों से लेकर पत्ते तक में डायनासोर के अण्डे के जीवाश्म देखने को मिल सकते हैं। जिसकी खोज के लिए दूर देश के वैज्ञानिक भी यहां आकर रिसर्च करने में लगे हुए है।
करोड़ो साल पुराने जीवाश्म
म.प्र. में बना यह पार्क प्लांट फॉसिल पार्क के नाम से जाना जाता है। पुरातत्व विभाग इस बारे में बताता है कि करोड़ों साल पहले यहां अरब सागर हुआ करता था। जो प्राकृतिक परिवर्तन के चलते यहां के पेड़ से पत्ते तक जीवाश्म में बदलकर पुरानी गाथाओं के बारे में बता रहें हैं। डायनासोर के कुछ अण्डे पेड़ में तो कुछ पत्थर में तब्दील हो चुके है।
पेड़ों के जीवाश्म
यहां के पेड़ पौधों, सीपों और पत्थरों से लेकर लकड़ियों में भी डायनासोर के जीवाश्म देखने को मिलते है। पर ये जीवाश्म पत्थर के समान बदल चुके है।
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पत्थरों पर चिपके पत्ते
इसी तरह से यहां के पत्ते भी जीवाश्म में परिवर्तित होकर पत्थरों का रूप ले चुके है। कहा जाता है कि जिस समय प्राकृतिक आपदा आई थी, उस समय जो जिस अवस्था में था उसी अवस्था में रहकर पत्थर में परिवर्तित हो गया, जिनके निशान इस पार्क में देखने मिलते हैं।
सीप के भी जीवाश्म
इस पार्क में समुद्र में पायी जाने वाली सीप में डायनासोर के जीवाश्म देखने को मिलते है। कुछ सीपों को तो वैज्ञानिकों ने पत्थर में से खोदकर बाहर निकाल लिया। कुछ उसी रूप में आज भी पड़ी हुई है।
रिसर्च
डायनासोर के मिले जीवाश्म के चलते इस पार्क का महत्व रिसर्च में काफी तेजी से बढ़ रहा है। इस जगह पर अमेरिका के साथ दूसरे देशों के वैज्ञानिक रिसर्च करने लिए इस जगह पर आते है और अपने उद्देश्यों को पूरा करते है।