दिलवाड़ा मंदिर – राजस्थान के इस ताजमहल की खूबसूरती आपको कर देगी मुग्ध

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क्या आप जानते हैं ताजमहल सिर्फ आगरा में ही नहीं है बल्कि राजस्थान में भी एक ताजमहल है जो की वैसी ही खूबसूरती और प्रसिद्धि लिए हुए हैं, यदि आप इस ताजमहल के बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको बताते हैं इस ताजमहल के बारे में। यह वैसे तो एक जैन मंदिर है जो की राजस्थान के माउंट आवू नामक स्थान पर बना है पर यह असल ताजमहल जैसा ही खूबसूरत भी है इसलिए लोग इसको “राजस्थान का ताजमहल” भी कहते हैं। इस ताजमहल नामक मंदिर की खासियत यह है कि इसकी सारी ईमारत 48 खंबों पर ही टिकी है, साथ ही इसमें की गई नक्काशी तथा इसकी वास्तुकला इस मंदिर को ताजमहल के बराबर ही खड़ा करती है, हालांकि यह मंदिर काफी प्राचीन भी है और इसके साथ में कई ऐतिहासिक घटनाएं भी जुड़ी बताई जाती हैं, जिनका वर्णन पुराणों में हैं, इन्हीं में से एक घटना का उल्लेख हम आपको बताने जा रहें हैं। यह घटना जुड़ी है इस मंदिर के पास स्थित झील से, यह काफी पुरानी झील है और इसके साथ एक पौराणिक कथा भगवान विष्णु के अवतार से जुड़ी है, आइये जानते हैं इस घटना के बारे में।

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यह पौराणिक कथा कहती है कि भगवान विष्णु का अवतार प्राचीन काल में गुजरात के पाटन नामक स्थान में हुआ था और उस समय उनका नाम “बालमरसिया” था। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के जन्म लेने के बाद ही पाटन के राजा तथा उनके मंत्री वस्तुपाल और तेजपाल के मन में माउंट आबू नामक स्थान पर एक मंदिर बनाने की इच्छा पैदा हुई थी। भगवान विष्णु ने जब इस मंदिर निर्माण की बात सुनी तो वे इस मंदिर की रूपरेखा लेकर पाटन के महाराज के पास में पहुंच गए, पाटन महाराज को इस मंदिर की रूपरेखा बहुत पसंद आई और उन्होंने कहा कि यदि बालमरसिया इस प्रकार के मंदिर का निर्माण कर देंगे तो वे उनकी शादी अपनी लड़की से करा देंगे।

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बालमरसिया ने तय समय पर इस मंदिर का निर्माण कर दिया पर बालमरसिया की दादीसास ने उनके सामने पाटन राजा की लड़की की शादी से पहले एक शर्त रख दी और वह यह कि वे यदि एक ही रात में अपने नाखूनों से खुदाई कर मैदान में एक झील का निर्माण कर देंगे तो ही उनकी शादी पाटन महाराज की लड़की से की जाएगी। भगवान विष्णु के अवतार बालमरसिया ने यह कार्य मात्र एक ही घंटे में कर दिखाया और राजा की लड़की से शादी की। इस प्रकार से मंदिर के पास स्थित झील का निर्माण हुआ था जो की भगवान विष्णु ने किया था।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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