पाकिस्तान से भारत की कई बार लड़ाई हुई है और उसमें हर बार भारत की ही जीत हुई है, इस जीत का एक बड़ा का श्रेय सीमा पर बने देवी तनोट के अलावा माता घंटीयाली देवी को भी बीएसएफ देती है, देवी तनोट का मंदिर राजस्थान राज्य के जैसलमेर से 120 किमी दूरी पर स्थित है और यह सेना के लिए एक अभूतपूर्व श्रद्धा का केंद्र भी है। आज भी देवी तनोट के इस मंदिर में बहुत से बम और बारूदी गोले रखें हुए हैं जो की पाकिस्तान की ओर से युद्ध के दौरान यहां पर गिराए गए थे परन्तु इनमें से कोई भी यहां आकर कोई फट नहीं पाया। इस मंदिर को आज देश के सभी लोग जानते हैं पर देवी तनोट के इस चमत्कारी मंदिर से ठीक 5 किमी पहले स्थित है “देवी घंटीयाली” का मंदिर। यह मंदिर भी बीएसएफ तथा यहां के स्थानीय लोगों के लिए श्रध्दा का केंद्र है, आइए जानते हैं कि 1965 की लड़ाई में देवी घंटीयाली ने क्या चमत्कार किए थे।
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देवी घंटीयाली के इस मंदिर को यहां के लोग देवी तनोट की तरह ही चमत्कारी मानते हैं, देवी घंटीयाली ने 1965 की लड़ाई में इस स्थान पर अपने तीन चमत्कार दिखाए थे, जिन्होंने बीएसएफ को उस लड़ाई में एक अपूर्व उत्साह प्रदान किया था। देवी घंटीयाली का पहला चमत्कार उस समय हुआ है जब पाकिस्तानी टुकड़ी भारत के इस स्थान पर घुस आई थी, उस समय पाकिस्तानी लोग अपने लोगों को भारतीय सैनिक समझ कर एक दूसरे पर ही फायरिंग करने लगे थे, इस कारण कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। दूसरा चमत्कार देवी घंटीयाली का उस समय हुआ जब पाकिस्तानी टुकड़ी के सैनिक देवी घंटीयाली के मंदिर के पास पहुंच गए थे, उस समय अचानक उनमें विवाद हो गया था, जिसके कारण आपसी लड़ाई में ही कुछ लोग मारे गए और तीसरा चमत्कार उस समय देवी घंटीयाली ने किया जब वह इस घंटीयाली मंदिर में घुस कर देवी के मंदिर की मूर्तियों को तोड़ने लगे थे तथा यहां उनकी श्रृंगार की वस्तुएं लूटने लगे थे, उस समय सभी पाकिस्तानी सैनिक अंधे हो गए थे और एक-दूसरे पर ही फायरिंग करने लगे थे, इस कारण बहुत से सैनिक वहां खुद ही मारे गए थे। इस घटना से भारतीय सैनिकों का उत्साह बढ़ था और उन्होंने सीमा की इस कमान पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। वर्तमान में देवी तनोट और देवी घंटीयाली के इन दोनों ही मंदिरों पर बीएसएफ और स्थानीय लोग अपार श्रद्धा रखते हैं।