भारत हो या देश का कोई अन्य शहर डर के साए से कोई अछूता नहीं रहा है। कुछ जगह ऐसी है जहां पर आज भी भटकती आत्माएं निवास करती हैं और वहां पर लोग जाने से डरते हैं। इन जगहों के बारे में सच्ची जानकारी तो शायद किसी को नहीं है लेकिन वहां पर होने वाली दुर्घटनाएं इस खौफ के साए के बारे में सोचने को मजबूर कर ही देती हैं।
इसी तरह का है ब्रान का ड्रैकुला महल या प्रिप्याट का सूनसान शहर जहां पर पहुंचने वाले लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी ही डरावनी जगहों के बारे में बताते हैं जहां पर जाने से लोग आज भी खौफ खाते हैं।
यह हैं दुनिया भर की कुछ डरावनी जगहें.
मैक्सिको का आईलेंड आफ डॉल्स.
बच्चों का खेल ज्यादातर गुड़ियों से होता है। जिसके करीब रहना या खेलना वो ज्यादा पसंद करते हैं। पर आप जरा सोचिए कि गुड़ियों से लटकी जगह पर आपको अकेला छोड़ दिया जाए तो आप उस समय कैसा महसूस करेंगे। हम यहां पर बात कर रहे हैं ऐसी ही एक जगह कि जिसे गुड़ियों के द्वीप के नाम से जाना जाता है। यहां पर लटकी सैकड़ों डॉल डरावनी, अजीब तो नजर आती ही हैं इनकी विचित्र आंखें आपको टकटकी लगाए देखती नजर आएंगी। इन्हें देखकर एक बीमार बच्चे के मतृ शरीर जैसा एहसास होता है।
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ऐसा कहा जाता है कि यहां पर एक सुखी परिवार अपनी छोटी सी बच्ची के साथ रहा करता था। वहां कुछ बच्चों के साथ खेलते समय बच्ची के एक नहर में डूब जाने पर उसकी मौत हो गई। बच्ची की मौत का साया हमेशा अपने पिता के साथ बातें करता रहा। उसका पिता अपनी बच्ची के लिए अपनी कमाई से हमेशा गुड़िया खरीदकर लाता और उसे किसी भी जगह पर लटका देता। कहा जाता है कि बच्ची का पिता खुद को बुराई से बचाने के लिए और उस छोटी लड़की की आत्मा को शांत करने के लिए ऐसा करता था। उसके बाद उस व्यक्ति की मृत्यु भी उसी नहर में हुई जहां पर उसकी बेटी मरी थी। हजारों की संख्या में जुड़ी रंगबिरंगी गुड़ियों के कारण इस जगह को गुड़ियों के द्वीप के नाम से जाना जाता है।
सैनिटोरियम की इमारतों में गूंजती अवाजें.
बर्लिन के निकट बेलित्स में सैनिटोरियम की इमारतें हैं। कहा जाता है कि विश्व युद्ध के दौरान घायल सैनिकों के इलाज के लिए इसे बनवाया गया था। बाद में इस पर फेफड़े का क्लीनिक 1902 में खोला गया था, पर यह काफी पुराना एवं डरावना होने के कारण लोग यहां पहुंचने में काफी डरते हैं। यहां पहुंचने पर लोगों को आभास होता है कि जिन भी सैनिकों को यहां लाया गया था उनकी यादें आज भी यहां पर बनी हुई हैं। जो बीते दिनों की याद दिलाती है।
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ब्लॉक पहाड़.
हार्ज पर्वत श्रृंखला का सबसे ऊंचा पहाड़ है। लोग इसे ब्लॉक पहाड़ भी पुकारते हैं। बताया जाता है कि यहां पर अप्रैल महीने के समय में रात को भूत प्रेत और चुड़ैलों का बसेरा होता है। हालांकि इसे अब तक किसी ने देखा नहीं है पर आने वाले लोगों ने इस घटना को महसूस करते हुए बताया है।
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ड्रैकुला का महल
डरावने और एकांत जगह पर बने इस महल में कभी काफी रौनक देखने को मिला करती थी पर रात के साए में यह महल काफी डरावना हो जाता है। यहां पर आने से लोग डरते है। ड्रैकुला का यह महल रोमानिया का राष्ट्रीय स्मारक हैए जो ट्रांसिल्वेनिया और वालाचिया के बॉर्डर पर बना हुआ है। 1920 में यह क्वीन मैरी का निवास हुआ करता था, मगर अब यह टूरिस्ट स्पॉट बन गया है रुमानिया के ट्रांस सिल्वेनिया में ब्रान का महल है। कहा जाता है कि ब्राम स्टोकर की कहानियों का काउंट ड्रैकुला यहां दरबार लगाया करता था जिससे आज भी यह महल स्टोकर की कहानियों के वर्णन जैसा ही दिखता है। रात होते ही यहां का माहौल भयावह हो जाता है।
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कॉर्नवेल की जेल.
ब्रिटेन के कॉर्नवेल में बॉडमिन मूर्स के बाहरी इलाके में 1779 में एक जेल बनाई गई थी जिसका इस्तेमाल सिर्फ फांसी देने के लिए किया जाता था। अब यह एक पुरानी खंडहर के रूप में तब्दील हो गई है। कहा यह जाता है कि आज भी यहां पर बंद जेल के अंदर कुछ अवाजें सुनी जा सकती हैं।
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आओगाहारा का घना जंगल.
जापान में फूजी पहाड़ियों की तलहटी में काफी घना डरावना जंगल है जहां पर दूर दूर तक काफी बड़े पेड़ पौधे हैं। यहां चारों ओर सिर्फ सन्नाटा ही सन्नाटा नजर आता है। बताया जाता है कि यहां से जो भी गुजरता है यहां की आत्माएं उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं जिससे लोग आत्महत्या कर लेते हैं। ज्यादा लोगों की आत्महत्याएं होने के कारण यहां की घटनाओं को किताबों में भी अंकित किया गया है।
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सिसली में लटकती ममी
दक्षिण इटली के सिसली में एक पुरानी धारणा रही है कि यहां के लोगों को मरने के बाद दफनाया नहीं जाता था। इनकी ममी बनाकर दीवारों पर लटका दिया जाता था। जिसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। रात के अंधेरे में ममी की इस डरावनी सीढ़ियों के पास से होकर गुजरना पड़ता है। जिसे देख लगता है कि अभी ही उठकर ये बात करने लगेंगी। लोग इस अंधेरी डरावनी जगह पर जाने से डरते हैं।
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यूक्रेन का प्रिप्याट शहर.
चेर्नोबिल पावर प्लांट में हुआ विस्फोट इतना घातक था जिससे रिएक्टर की छत उड़ गई थी। इस पावर प्लांट से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा यूक्रेन का प्रिप्याट शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ था जो हिरोशिमा और नागासाकी के बाद विश्व का सबसे बड़ा परमाणु हादसा बना। इस दुर्घटना में जो रेडियोधर्मी किरणें निकलीं वे हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से 100 गुना अधिक थीं। जिससे प्रभावित लोगों की संख्या 4000 से भी अधिक बताई गई थी। जहां पर अब वो शहर भुतहा सा नजर आता है। 1986 से यह शहर दुर्घटनाग्रस्त परमाणु संयंत्र के आस पास के प्रतिबंधित इलाकों में शामिल है। यहां समय थम गया है।