धर्म का भेदभाव ख़त्म कर आपसी सौहार्द की पेश की मिसाल

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आज के समय में सहिष्णुता और असहिष्णुता को लेकर चारों ओर हंगामा हो रहा है। इन मुद्दों को लेकर देश में काफी गर्मा गर्मी का माहौल बना हुआ है, वहीं हमारे देश में ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो आपसी सौहार्द को इन सबसे ऊपर रखते हैं। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को बरकरार रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मुखातिब कराने जा रहे हैं जो इन बातों की नज़ीर बन चुके हैं।

इस शख्सियत का नाम है मुहम्मद इस्लाम। मुहम्मद मिर्जापुर जिले के पड़री थाना क्षेत्र के धर्मदेवा इलाके के निवासी हैं। रामायण के प्रति उनका प्रेम देख कर बहुत से हिन्दू लोग उनको मानस पाठ के लिए अपने घर बुलाते हैं। इस कार्य को करते हुए उन्हें रामचरित मानस का बड़ा हिस्सा भी याद हो गया है।

mohammed islam 1

पांच वक्त की नमाज के साथ मुहम्मद इस्लाम पिछले तीस सालों से रोजाना रामायण का पाठ भी करते हैं। वह कहते हैं कि जिस दिन पाठ नहीं करते नींद नहीं आती है। अभिनेता आमिर खान के मुल्क छोड़ने के बयान से इत्तेफाक न रखने वाले इस्लाम का कहना है कि सहिष्णुता और असहिष्णुता जैसे भारी भरकम लफ्ज नेताओं को ओढ़ने-बिछाने दीजिए।
मोहम्मद इस्लाम को जितनी आस्था कुरान से है, उतना ही रामचरित मानस से भी है।

मुहम्मद इस्लाम को रामायण के साथ-साथ गौ सेवा के प्रति भी बहुत लगाव है। इस बात का अंदाजा उनके घर बंधी गायों को देखकर लगाया जा सकता है। ऐसी सोच व व्यवहार के कारण उनकी प्रसिद्धि जिले के बाहर भी हो गई है।

इस्लाम बताते हैं कि उन्होंने पहली बार नजदीक के एक मंदिर में रामायण का पाठ सुना था। उन्हें यह इतना भाया कि वह इसे लगातार पढ़ने लगे। वह मंदिर में होने वाले मानस पाठ में हिस्सा लेने लगे। आज वह रामायण पढ़ते हैं और मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज पढ़ने जाते हैं।

उनका कहना है कि किसी भी हिंदू घर में उन्हें बेगानेपन का अहसास नहीं हुआ। हर जगह प्यार ही मिला। इस्लाम अब तक कोलकाता, मेरठ समेत कई शहरों में मानस का पाठ कर चुके हैं। अब उन्हें सिलिगुड़ी से बुलावा आया है। इस प्रकार के लोग जो सिर्फ मानवीयता और प्रेम की शिक्षा देते हैं असल में वही वास्तविक हीरो हैं। ऐसे लोगों के कार्य रुपहले परदे पर अभिनय करने वाले लोगों के बयानों का मुहतोड़ जवाब भी है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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