सऊदी अरब में जाकर अच्छा खासा पैसा कमाने का सपना बहुत लोग देखते हैं। आमतौर पर लोग वहां जाने के लिए किसी न किसी प्लेसमेंट सर्विसेज से पास पहुंच जाते हैं जो कि इन लोगों की कागजी कार्यवाही पूरी कर उन्हें सऊदी पहुंचा तो देती हैं, पर वहां इन लोगों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है और वह वहां कोई काम कर भी रहे हैं या नहीं इन सब की तरफ प्लेसमेंट एजेंसियां कोई ध्यान नहीं देती हैं। इस प्रकार से जाने वालों का जीवन वहां बहुत ही दुरूह हो जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही लोगों के अनुभव जो कहते हैं कि सऊदी अरब में उनका जीवन किसी जहन्नुम से कम नहीं था।
क्या कहते हैं सऊदी से लौटे लोग-
यूपी के बहराइच में निवास करने वाले ताहिर बताते हैं कि “मैं ड्राइवर का वीजा लेकर सऊदी गया था और वह वहां पर सिर्फ 7 दिन ही रुक पाया। इतने समय में ही मेरी जिंदगी वहां जहन्नुम बन चुकी थी।” ताहिर ने बताया कि एयरपोर्ट पर पहुंचते ही मुझे लगा कि मैंने कोई गलत फैसला ले लिया क्योंकि एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए प्लेसमेंट सर्विसेज के किसी व्यक्ति को आना ही होता है, पर वहां कोई नहीं आया। मुझे खुद ही टैक्सी पकड़ कर ऑफिस जाना पड़ा। प्लेसमेंट सर्विसेज में ही तीन दिन रहा। फिर वह आदमी आया जिसके लिए मुझे काम करना था। वह मुझे अपने साथ अपनी गाड़ी से ले गया। एक दिन काम नहीं होने पर उसने मुझे घर में झाड़ू लगाने और टॉयलेट साफ़ करने का काम दे दिया, जिसको मैंने मना कर दिया। आमतौर पर सब लोग घर पर ही खाना देते हैं, पर वह मुझसे खुद ही खाना बना कर खाने को कहता था। उसके घर में बाहर निकलने की मनाही थी और किसी से मिलने जुलने की भी। किसी तरह मैं एक दिन चोरी से छुपकर वहां से भाग आया और प्लेसमेंट सर्विसेज के ऑफिस पहुंचा। उन लोगों ने मेरी मदद कर के मुझे भारत लौटा दिया।
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इसी तरह बहराइच जिले के नानपारा कस्बे के रहने वाले मो. खालिक ने बताया कि उनका बेटा 11 दिसंबर 2015 को जॉब के लिए सऊदी गया था। 4 जनवरी 2016 को ही उसकी मौत की खबर हमें मिली, लेकिन आज तक हमें उसकी लाश नहीं मिल पाई। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने एक प्लेसमेंट एजेंसी से संपर्क किया था जिसने उसको सऊदी भेज दिया था। उसकी मौत के बाद हमने एजेंसी के मैनेजर से बात की, पर उसने गाली-गैलोच कर हमें वहां से भगा दिया। अब मो. खालिक चाहते हैं कि इस प्रकार की सभी एजेंसियों के खिलाफ सरकार को कड़ा फैसला करना चाहिए। कुछ इसी प्रकार की बात इमरान सिद्दीकी कहते हैं कि वहां पेपर्स के नाम पर अनपढ़ लोगों को दौड़ाया जाता है। कई लोग बहुत परेशान हो जाते हैं। वहां एक 10/8 के कमरे में 5 से 7 लोगों को रखा जाता है। वहां लोगों को बुलाया तो किसी और काम के लिए जाता है, पर काम कुछ और दिया जाता है। इस प्रकार से भोले-भाले लोगों का बहुत शोषण वहां किया जाता है।
प्लेसमेंट सर्विसेज के लोग क्या कहते हैं –
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हबीबुल्लाह जो कि एक प्लेसमेंट सर्विसेज में काम करते हैं उनका कहना है कि लोगों को दलालों से पासपोर्ट नहीं बनवाना चाहिए। इसके अलावा कई प्लेसमेंट सर्विसेज सिक्योरिटी मनी के नाम पर लोगों से बहुत सा पैसा ले लेती हैं जबकि ऐसा कोई चलन नहीं है।