स्वदेशी तकनीकि से भारत में ही विकसित सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का रविवार 1 नवंबर को भारतीय नौसेना के सबसे अत्याधुनिक स्टील्थ जहाज आईएनएस कोच्चि से सफलता पूर्व परीक्षण किया गया। इसी के साथ भारत दुनिया के उन गिने चुने देशों की कतार में खड़ा हो गया है जिसके पास दुनिया की अत्याधुनिक मिसाइल रोधी तकनीकि है।
वैज्ञानिकों की मानें तो यह अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसके विकास के साथ ही भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी में पहली कतार का देश बन गया है। इसकी मारक क्षमता को परखने के लिए अरब सागर में एक पुराने जहाज पर निशाना साधा गया जो सफलतापूर्वक लक्ष्य को भेदने में कामयाब रहा।
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भारत के वैज्ञानिकों की यह कौशल क्षमता की मिसाल है जो दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। अगर जानकारों की मानें तो अगले 20 साल तक इस मिसाइल के लिए कोई चुनौती नहीं है। अगर बात करें ब्रह्मोस की मारक क्षमता की तो इसकी खासियत को जान कर उत्तरी अटलांटिक राष्ट्रों से लेकर अमेरिका तक भयभीत है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ इस तकनीकि को अभी तक पूरी तरह से समझ भी नहीं पाए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक सैन्य शक्ति संपन्न राष्ट्र है, लेकिन भारत की इस मिसाइल तकनीकि और ब्रह्मोस की मारक क्षमता के साथ उसकी जबरदस्त स्पीड को देखते हुए भारत की सामरिक क्षमता का लोहा मानने को मजबूर किया है।
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आखिर क्या खासियत है सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की-
*दुनिया के किसी भी एंटीसेप्टर मिसाइल में वह क्षमता नहीं है जो ब्रह्मोस को मार गिरा सके, क्योंकि इसकी रफ्तार लगभग 2-3 मैक है। स्पीड के कारण इस मिसाइल का पता लगाना बेहद कठिन है। दुनिया के सबसे आधुनिक हथियारों से लैस नाटो के पास भी सिर्फ 1 से 1.5 मैक की गति की मिसाइल को रोकने की क्षमता है।
*तीन हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मनों पर मौत बन कर टूट पड़ता है यह मिसाइल। इसकी सफलता के बाद हमारे वैज्ञानिक अब ब्रह्मोस 2 पर काम कर रहे हैं और उसकी रफ्तार तो और भी गजब की होगी। वो लगभग 5300 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी अधिक स्पीड से दुश्मन पर कहर बरपाएगी। इस रफ्तार से हमला करने पर ब्रह्मोस पलक झपकते ही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तबाही मचा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये दुनिया के अत्याधुनिक रडार को भी चकमा देने में कामयाब हो सकता है। इसके अलावा मूविंग टार्गेट को भी यह नेस्तनाबूत कर सकता है यानी हवा में ही अपनी दिशा बदल सकता है और चलते फिरते टार्गेट को भी भेद सकता है। इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
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*सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकता है। ब्रह्मोस 10 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकता है और रडार की पकड़ में नहीं आएगा।
*ब्रह्मोस केवल रडार ही नहीं बल्कि किसी भी दूसरी मिसाइल डिटेक्टर प्रणाली को चकमा दे सकता है। ब्रह्मोस अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दोगुनी ज्यादा रफ्तार से वार कर सकता है, इसकी मारक क्षमता भी टॉम हॉक से कहीं सटीक और ज्यादा है।
*दुनिया की दूसरी मिसाइलों से अलग ब्रह्मोस हवा को खींच कर रेमजेट तकनीकि से ऊर्जा ग्रहण करती है। यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तबाह करने में सक्षम है।
*ब्रह्मोस सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान में तैनात किया जा सकता है। बाद में इसे रफेल और नेवी के मिग-29 K में भी उपयोग में लाया जा सकेगा।
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*2017 तक ब्रह्मोस कॉर्पोरशन, न्यू ब्रह्मोस-2 का निर्माण भी कर लेगा, जो कि हाइपर सोनिक मिसाइल होगी। इसकी स्पीड 7 मैक के लगभग होगी।
*अगर बात करें इसके तोड़ की या इसके मार से बचने की तो विश्व का सबसे बेहतरीन AEGIS भी 20 से 30 ब्रह्मोस मिसाइल को अकेले नहीं रोक सकता है। इसके लिए CBG को 3 AEGIS के साथ-साथ E-2 एयर-क्राफ्टर के साथ 48 CAP भी इंटरसेप्शन में तैनात करने होंगे। आईएनएस कोलकाता में 16 ब्रह्मोस और 32 खतरनाक बराक-8 मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है, जो ऐसे दुनिया के किसी भी इंटरसेप्शन प्रणाली का नामोनिशान मिटाने में सक्षम है।