बाबा हट परा – जिन्होंने जीवित किया एक मृत बालक को

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भारत में बहुत से ऐसे लोग हुए हैं, जिनके बारे में भले ही आज कम लोग जानते हों पर वे लोग मौत तक को अपनी मुट्ठी में रखते थे। ऐसे ही एक महापुरुष के बारे में आज हम आपको यहां बता रहें हैं, जिनके आशीर्वाद से जी उठा था राजा का मरा हुआ पुत्र। जी हां, आज हम आपको भारत के ऐसे ही संत के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, जिनके आशीर्वाद से एक मृत बालक जीवित हो गया था। हालांकि यह घटना काफी पुरानी है पर वर्तमान में भी इस संत से जुड़ा एक संप्रदाय पंजाब में चल रहा है तो आइए जानते हैं इस घटना के बारे में।

यह घटना उस समय की है जब पंजाब में राजा रणजीत सिंह का राज्य था, उस समय यहां पर एक नाथपंथी संयासी रहा करते थे जो किसी से बोलते नहीं थे, बल्कि धुने(हवन कुंड) के पास ही बैठे रहते थे। एक बार इनके पास में एक जट्ट युवक आ पहुंचा और उसने बाबा से गुरु मन्त्र की याचना की, पर बाबा ने उसको मना कर दिया। इसके बाद में वह बार-बार बाबा के पास में आता रहा, पर बाबा ने किसी को अपना शिष्य नही बनाया था, इसलिए उसको वे लगातार मना करते रहें, एक बार इस जट्ट युवक ने सोचा की आज जो भी बाबा मेरे लिए शब्द कहेंगे उसको ही मैं बाबा का गुरु मन्त्र मान लूंगा, वह ऐसा सोचकर बाबा के पास गया और उनसे बाबा को गुरु मंत्र देने के लिए कहा पर बाबा ने उसको “हट परा” यानि दूर हट जाओ कहा, इसी हट परा शब्द को उस जट्ट युवक ने गुरु मन्त्र मान लिया। नाथ पंथ में 12 साल तक गुरु मन्त्र का ही जप करना होता है इसलिए इस परंपरा के निर्वहन के कारण जट्ट युवक भी 12 साल तक हट परा शब्द का जप करता रहा। इस दौरान बहुत से लोगों ने इस जट्ट युवक का नाम भी “बाबा हट परा” रख दिया। 12 साल के कठिन तप के कारण बाबा हट परा नामक यह युवक काफी शक्तियों और सिद्धियों का स्वामी बन गया था और इसका नाम सारे पंजाब में फैल गया था।

baba hat pra1Image Source:

उस समय पंजाब की एक रियासत के राजा की अकाल मृत्यु हो गई थी और उस बच्चे को कुछ लोग बाबा हट परा नामक इस जट्ट युवक के पास ले आए और बाबा से बालक के प्राण बचाने की प्रार्थना की तब बाबा ने उस बालक को लात मार कर कहा “हट परा” और चमत्कारिक रूप से वह बालक जीवित हो उठा। इस घटना के बाद में बाबा की कीर्ति चारों और फैल गई और बाबा प्रसिद्ध हो गए। बाद में राजा का यह लड़का बाबा का ही शिष्य बन गया। वर्तमान में पंजाब में बाबा हट परा नाम से सम्प्रदाय है, जिसमें बहुत से लोग आज भी शामिल हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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