यदि कलाकृति की बात की जाए तो भारत ऐसा देश है जो विभिन्न कला संस्कृति के नाम से जाना जाता है। इसकी यही पुरानी धरोहर हमें पुराने ऐतीहासिक किलों,इमारतो और मंदिरों में देखी जा सकती है। हमारे देश में काफी पुराने समय से चली आ रही हाथों से बनी कलाकृति भारत की अनमोल छाप रही है। जिसके बिना भारत को ही अधूरा माना जा सकता है और इसी मिसाल को कायम कर दिखाया है, अहमदाबाद में रहने वाले पार्थ कोठेकर ने जिन्होंने इस कला को निखार प्रदान करने के लिए किसी रंग का उपयोग नहीं किया बल्कि कागजों के टुकड़े को नया रूप प्रदान किया है।
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कागज के मामूली से टुकड़ों का उपयोग कर एक खूबसूरत का आकार प्रदान कर, उसे एक खूबसूरत पेटिंग की तरह बना दिया है। इस अनोखी कला को निखार प्रदान करने का तरीका पार्थ को स्टेंसिल देखकर आया था। शुरुआती दिनों में ये केवल एक शौक था लेकिन बाद में इनकी योग्यता से बढ़ती लोकप्रियता ने इस कला को इनका काम बना दिया।
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आज इस कला की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर दुनिया भर में इनकी एक खास पहचान बन चुकी है। आज हम आपको इन कागज के टिकड़ों से बनी कुछ पेटिंगस को ही दिखा रहें हैं।