रावण की बहन सूर्पणखा के नाक-कान काटने की वजह ही रावण और श्रीराम के युद्ध का कारण बनी थी, यह तो आप जानते ही हैं, पर क्या आप जानते हैं कि सूर्पणखा उस प्राचीन समय में भी टेलीफोनिक तकनीक की जानकार थी। जी हां, आज हम आपको बताने जा रहें हैं एक ऐसी पुस्तक के बारे में जो यह कहती है कि रावण की बहन सूर्पणखा टेलीफोनिक तकनीक यानि दूरभाष की जानकार थी, हालांकि यह बात मानना सहज नहीं है पर हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा किस पुस्तक में लिखा है और क्या लिखा है, तो आइए जानते हैं इस पुस्तक के बारे में।
Image Source:
इस पुस्तक का नाम है “काकविन रामायण”, यह पुस्तक भारत की रामायण नहीं है, बल्कि यह विश्व के सर्वाधिक मुस्लिम लोगों की जनसंख्या वाले देश “इंडोनेशिया” की रामायण है, हालांकि इस पुस्तक में भी राम और रावण की वही प्राचीन कहानी लिखी है जो की भारत की रामायण में लिखी हुई है, पर इसमें कुछ पत्रों के नाम बदले हुए हैं, जैसे की इस पुस्तक में श्रीराम के पिता महाराज दशरथ को “विश्वरंजन” नाम दिया गया है तथा देवी सीता को “सिंता” नाम दिया गया गया है। इसके अलावा इस पुस्तक में कुछ ऐसी भी बातें लिखी गई है जिसके बारे में हम सामान्य तौर पर नहीं जानते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी ही बात बताने जा रहें हैं।
Image Source:
इस पुस्तक के अनुसार “त्रेतायुग में देव पुरुषों की ही तरह दानव भी बहुत ज्ञानी लोग थे और उन्होंने कई चीजों का आविष्कार विज्ञान के क्षेत्र में किया था, जिसमें से एक था “दूरभाष” यानि टेलीफोनिक तकनीक का आविष्कार। इस तकनीक का अविष्कार रावण के भाई “कुम्भकरण” ने किया था, इस तकनीक के जरिए दानव एक दूसरे से दूर रहते हुए भी बात कर लेते थे, इसलिए जब भी कोई दानव पकड़ा जाता था तो देव लोग उसके कान सबसे पहले काट देते थे, ताकि वह किसी अन्य से बात न कर सकें और यही कारण था कि श्रीराम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन सूर्पणखा के कान और नाक काट डालें थे”
Image Source:
यह तथ्य इंडोनेशिया की मुस्लिम रामायण में हमें मिलता है जिससे पता लगता है कि टेलीफोनिक तकनीक पहले के समय में भी ज्ञात थी और उसका उपयोग किया जाता था, “काकविन रामायण” नामक इस पुस्तक को इंडोनेशिया के लोग बहुत श्रद्धा के साथ में अपने घर में रखते हैं और इसका पाठ करते हैं, इस पुस्तक को वहीं के “कवि योगेश्वर” ने लिखा था, जो की एक प्राचीन ज्ञानी व्यक्ति थे।