एनी रॉय हैं देश की ‘ओनली वन’ महिला टनल इंजीनियर

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हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं, लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि कोई महिला टनलिंग का काम भी कर सकती है। आपने शायद कभी सुना भी ना हो, लेकिन आज हम आपको देश की अकेली एक ऐसी महिला टनल इंजीनियर के बारे में बताने जा रहे हैं जो मेट्रो के लिए सुरंगों को खोदने का काम करती हैं। जैसा कि सब अच्छे से जानते हैं कि मेट्रो ने लोगों की जिंदगी को कितना आसान कर दिया है। ऐसे में इस महिला को अपने काम पर काफी गर्व भी है। इस महिला का नाम एनी रॉय है जो कि 35 वर्ष की हैं।

09DE_TUNNELDEL__09_2335394fImage Source :http://www.thehindu.com/

उन्होंने दिल्ली मेट्रो में लगी अपनी नौकरी के पहले दिन का किस्सा साझा करते हुए बताया कि जब वह नौकरी के पहले दिन कंस्ट्रक्शन साइट पर पहुंची थीं तो लोग उन्हें देखकर फुसफुसाते हुए कोई विजिटर समझ रहे थे। उन्हें लगा कि कोई विजिटर शायद साइट को देखने आई है। उस दिन साइट पर वहां करीबन 100 लोग थे जिसमें कुछ इंजीनियर और ज्यादा मजदूर वर्ग था। वहां पर बैठने से लेकर टॉयलेट तक की कोई व्यवस्था नहीं थी। चारों तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा नजर आ रहा था। कुछ घंटे बीत जाने के बाद वह एक जमीन को तोड़ने के लिए लगी बड़ी मशीन के सामने खड़ी हो गई थीं जो काम करते हुए फंस गई थी।

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उन्होंने बताया कि फिर एक जर्मन इंजीनियर और उनके बॉस ने उन्हें इसके अंदर जाकर नटों को खोलने के लिए कहा। तो उस वक्त उनके दिमाग में सिर्फ यही बातें चल रही थी क्या मैं सही कर रही हूं, मैं क्या करने जा रही हूं। अगर इसका हाइड्रोलिक तेल मेरे चेहरे पर गिर गया तो क्या होगा। उस वक्त वहां मौजूद एक मजदूर ने भी उन्हें बोला कि अगर ये तेल चेहरे पर गिर गया तो जिंदगी भर के लिए आपका चेहरा ग्लो करेगा, लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और आगे बढ़ इस काम को किया।

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बैंगलुरू की वह अकेली ऐसी महिला हैं जिसने सुरंग खोदने का काम करने वाली मशीन गोदावरी को चलाया है। वो टनलिंग को अपना जीवन मानती हैं। उन्होंने हाल ही में गोदावरी मशीन से सम्पीज रोड से मजेस्टिक तक अडरग्राउंड बोरिंग के काम को पूरा किया है। उन्होंने बेंगलुरू मेट्रो रेल कॉर्पोरशन में मई 2015 में बतौर असिस्टेंट इंजीनियर जॉइन किया था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली हुई है। वह इसमें मास्टर्स भी करना चाहती थीं, लेकिन अपने पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी और घर के खर्च को उठाने के चक्कर में उन्होंने नौकरी कर ली। आज वो अपने काम से काफी खुश हैं और महिलाओं को यह प्रेरणा दे रही हैं कि उन्हें भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ कर काम करना चाहिए।

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