बच्चों का भविष्य बनाने में टीचर का अहम योगदान रहता है। देखा जाए तो बच्चे बड़े होकर क्या बनेंगे इसका निर्णय एक शिक्षक ही करता है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही गुरु शिष्य परंपरा रही है। इस परंपरा में एक गुरु का कार्य न सिर्फ बच्चें को शिक्षित करना होता था बल्कि उसको जीवन के सही पथ पर चलाना भी होता था। यही कारण था कि प्राचीन काल के लोग ईमानदार तथा अपने कार्य में मेहनती होते थे।
गुरु बच्चें के जीवन को कुछ इस प्रकार से ढालता है कि बच्चा अपने जीवन में उन्नति कारक गुणों से भर जाता है तथा बड़ा होकर वह अपने देश व कुल का नाम दुनिया में उजागर करता है। वर्तमान समय में स्कूलों में टीचर्स बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। इन स्कूलों के हजारों लाखों टीचर्स में से हाल ही में एक बेस्ट टीचर चुना गया है। यह टीचर एक महिला है, जिसका नाम एंड्रिया ज़ेफिरा है।
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आपको हाल ही में हुई बेस्ट टीचर चुनने की इस प्रतियोगिता में 173 देशों के 30 हजार टीचर्स ने भाग लिया था। एंड्रिया ज़ेफिरा इन सभी से आगे निकल कर दुनिया की बेस्ट टीचर बनी हैं। इनको पुरूस्कार के रूप में 6.5 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई है। यह पुरूस्कार एंड्रिया को दुबई के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मखतौम ने दिया। आपको बता दें कि एंड्रिया ब्रिटेन मूल की हैं तथा वे छात्रों को टेक्सटाइल और आर्ट्स की पढ़ाई कराती हैं। इस प्रतियोगिता में साउथ अफ्रीका, यूएस, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील तथा नॉर्वे जैसे अनेक देशों ने भाग लिया था।
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एंड्रिया ज़ेफिरा ने सम्मानित होने के बाद लोगों को बताया कि बच्चे किस प्रकार से मेहनत कर पढ़ाई करते हैं तथा कई बार जब परेशानियां आती हैं तो वे किस प्रकार से उनका सामना कर अपनी पढ़ाई को जारी रखते हैं। एंड्रिया ने बताया की एक ही रूम में अकेले बैठ कर कार्य करना कितना मुश्किल भरा होता है वह अच्छे से समझती है।
कई बार तो छात्रों को अपनी पढ़ाई बाथरूम में बैठ कर करनी पड़ती थी। एक शिक्षक के अलावा एंड्रिया ज़ेफिरा ने कई ऐसे सामाजिक कार्य भी किये हैं। जिनसे समाज का भला होता है। इसके अलावा वे कई प्रकार के अन्य सराहनीय कार्य भी कर चुकी हैं।