अगर आपके हौसले बुलंद हो और आपके अंदर आत्मविश्वास भरा हुआ है तो ऐसे में आपके सपनों को साकार करने से कोई नहीं रोक पाता। अगर आप अपनी सारी परेशानियों को भूलकर सिर्फ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हैं तो ऐसे में आपको कोई ताकत नहीं रोक पाती है। इसी सपने को सच कर दिखाया हैं महाराष्ट्र के बोइसार नाम के शहर में रहने वाले वरुण बरनवाल ने।
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एक समय था, जब पिता की मौत के बाद वरुण ने कंधे पर घर की सारी जिम्मेदारियां आ गई थी। अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़, घर चलाने के लिए वरुण ने पंचर की दुकान पर काम किया था, और अपने घरवालों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करता था।
वरुण ने 10वी कक्षा में पूरे शहर में दूसरा स्थान हासिल किया था, इसके अलावा 12वी की परिक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। इन दिनों वह दिन में कॉलेज जाता और शाम को साइकिल की दुकान में बैठता और छोटे बच्चों को ट्यूशन भी देता था। इसके बाद रात को वह अपनी पढ़ाई पूरी करता। बता दें कि इंजीनियरिंग की पहले ही सेमिस्टर में वरुण ने टॉप किया, जिसके बाद कॉलेज की तरफ से उसे वजिफा दिया गया।
वरुण पढ़ाई के साथ ही समाज सुधार के कामों में भी लगे रहते थे, उन्होंने अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल में भी हिस्सा लिया। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करनी शुरू कर दी और 8 साल की मेहनत के बाद आखिरकार यूपीएससी के एक्जाम में वरुण की 32वीं रैंक आई। आज वह गुजरात के हिम्मतनगर का एसिसटेंट कलेक्टर हैं।