सऊदी अरब के काबा को मुस्लिम समुदाय में बहुत पवित्र स्थान का दर्जा मिला हुआ है, पर बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं इसलिए आज हम आपको यहां काबा के बारे में कुछ विशेष तथ्य बता रहें हैं। सबसे पहले हम आपको बता दें कि खुदा की इबादत के लिए हज़रत इब्राहीम ने काबा का निर्माण किया था। वर्तमान में मक्का के इस पवित्र स्थान काबा में बहुत सी आधुनिक सुविधाएं हो चुकी हैं। पवित्र काबा की चाबी सऊदी अरब के शैबा परिवार के पास ही रहती हैं। यदि किसी को भी इसमें प्रवेश करना होता, तब इस परिवार से ही आज्ञा लेनी जरूरी होती है। पवित्र काबा के चारों ओर जायरीन परिक्रमा करते हैं। मान्यता है कि जन्नत में भी एक ऐसा ही काबा है जिसके चारों ओर 70 हजार फरिश्ते परिक्रमा करते हैं।
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बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्तमान में पवित्र काबा जैसा दिखाई पड़ता है वैसा यह पहले नहीं था। असल में 1996 में काबा में कुछ बुनियादी बदलाव किए गए थे। इसके बाद ही काबा का वर्तमान स्वरूप सामने आया था। काबा में अब आधुनिक सुविधाएं जोड़ दी गई हैं, ताकि लंबे समय तक किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता न पड़ें। बहुत कम लोग जानते हैं कि आज काबा पर जो “किस्वा” यानि गिलाफ काले रंग का है, पहले उसके स्थान पर लाल, सफेद या अन्य रंगों के “किस्वा” थे। काले रंग के किस्वा को सबसे पहले “खलीफा नासिर अब्बास” (मृतक 622 ही.) ने इस पर चढ़वाया था और तब से ही यह काले रंग के किस्वा से ही ढका जाता है।
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पवित्र काबा घाटी के नीचले हिस्से में है इसलिए बारिश के समय में पहले वहां पानी भर जाता था। उस समय में लोग काबा की परिक्रमा पानी में तैर कर करते थे जो कि उनकी श्रद्धा को दर्शाता था। कुछ समय बाद काबा के आसपास के स्थान में बदलाव कर इस प्रकार की स्थिति से मुक्ति पा ली गई, पर श्रद्धा से भरा इस प्रकार का दृश्य फिर दिखाई पड़ना बंद हो गया। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि काबा के पवित्र काले पत्थर को इस्माइली समूह के लोगों द्वारा चोरी कर लिया गया था और जब वह वापस मिला, तब उसके टुकड़े हो चुके थे और आज भी उसके कई टुकड़े नहीं मिल पाएं हैं। इस प्रकार से देखा जाएं तो काबा एक ऐतिहासिक स्थान भी है जो समय के बहुत बड़े इतिहास तथा आस्थाओं और मान्यताओं का केंद्र है।